भारत में 15 लाख महिलाएं मिर्गी से पीड़ित, बचने के लिए इस तरह रहें सतर्क

मिर्गी का दौरा वैसे कभी-कभार ही आता है लेकिन होता काफी खतरनाक है. मिर्गी एक ऐसी दिमागी बीमारी है जिसमें अचानक मरीज बेहोश होकर कहीं भी गिर जाता है. इससे मरीज की चेतना खत्म हो जाती है. जिस कारण अनहोनी का डर बना रहता है. मिर्गी के कारण अचानक दुर्घटनाओं से मरीज की मौत भी आ जाती है. ऐसे में समय से पहले मौत हो जाती है.
भारत के लिए चिंता की बात है कि देश में 15 लाख महिलाएं मिर्गी की बीमारी से पीड़ित हैं. गांवों में मिर्गी के मरीज ज्यादा पाए जाते हैं. उससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि मिर्गी को समाज में कलंक की तरह देखा जाता है. खासकर अगर महिलाओं में मिर्गी हो जाए तो उन्हें घर के बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है. हकीकत यह है कि मिर्गी दूसरी बीमारियों की तरह ही एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है. ऐसे में मिर्गी से बचाव किस प्रकार किया जाए, यह जानना बेहद जरूरी है.
मिर्गी के दिखाई देते हैं ये लक्षण
सबसे पहले तो आपको यह पता होना चाहिए कि मिर्गी होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं. मायो क्लिनिक के मुताबिक मिर्गी का जब दौरा पड़ता है तब अचानक शरीर में ऐंठन या शरीर शून्य पड़ जाता है. इसमें मरीज का खुद पर नियंत्रण नहीं रह पाता. मिर्गी एक दिमागी बीमारी है, इसलिए इस बीमारी में मिर्गी का दौरा पड़ने पर एक तरह से दिमाग काम करना बंद कर देता है.
इस दौरान कुछ समय के लिए कई लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें तात्कालिक कंफ्यूजन रहता है. मसल्स में अकड़न या ऐंठन होने लगती है. कुछ समय के लिए मरीज एक ही स्थित में घूरता रहता है. हाथ-पैर से नियंत्रण चला जाता है. इससे मरीज में डर, चिंता और बेचैनी होनी लगती है. कुछ लोगों के व्यवहार में बदलाव नजर आने लगता है. यह साइको की स्थिति भी हो सकती है. हालांकि मिर्गी के हर मरीज में अलग-अलग तरह के लक्षण दिख सकते हैं.
बचने के लिए इस तरह रहें सतर्क
WHO के मुताबिक, मिर्गी के 25 प्रतिशत मामले को होने से रोका जा सकता है. नवजात शिशु के दिमाग में चोट या भ्रूण में गड़बड़ी मिर्गी का कारण है. इसलिए शिशु के पैदा होते समय अच्छे अस्पतालों और डॉक्टरों की निगरानी में डिलीवरी होनी चाहिए. विकसित हो रहे बच्चे को दिमाग में चोट न लगे, इस बात का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए. इससे मिर्गी की बीमारी होगी ही नहीं.
बच्चों की शुरुआती देखभाल बहुत जरूरी है. चूंकि मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज कहीं गिर सकता है, टकरा सकता है, ट्रैफिक में एक्सीडेंट्स कर सकता है, खेलते समय घायल हो सकता है. इसलिए इस दौरान मरीज को किसी के साथ ही बाहर निकलनाा चाहिए. जहां तक संभव हो, सिर पर हेडगार्ड लगाकर मरीज को बाहर निकालें. मिर्गी के मरीजों में स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है. इसलिए हमेशा कार्डियोलॉजिस्ट के संपर्क में रहें और बीपी, शुगर को बढ़ने न दें. समय पर दवा लें. तंबाकू और अल्कोहल का सेवन न करें.