Neurological Disorders: लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी ने कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को बढ़ा दिया है। नतीजतन 20 से कम उम्र के लोग भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यही कारण कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अपनी सेहत का निरंतर ध्यान रखने की सलाह देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि पुरुषों की तुलना में कुछ बीमारियों का खतरा महिलाओं में अधिक हो सकता है? अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं में जिन स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम पुरुषों से अधिक देखा जाता रहा है उनमें न्यूरोलॉजिकल समस्याएं प्रमुख हैं। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं यानी तंत्रिका तंत्र से संबंधी बीमारियां जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं को प्रभावित करती हैं। इसके कारण आपको कमजोरी, लकवा मारने और संवेदना कम होने सहित कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। महिलाओं में इसका जोखिम क्यों अधिक होता है, आइए इस बारे में जानते हैं।
महिलाओं में न्यूरोलॉजिकल विकारों का जोखिम अधिक | Neurological Disorders
मेडिकल रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि क्लीनिकल ट्रायल और चिकित्सा अनुसंधान मुख्य रूप से पुरुषों से संबंधित विषयों पर अधिक केंद्रित रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, चिकित्सा विशेषज्ञों ने यह देखना शुरू किया है कि कई बीमारियों का खतरा पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी उनमें से एक हैं। महिलाओं में उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, हार्मोनल चक्र और कई अन्य कारकों में अंतर के कारण कुछ न्यूरोलॉजिकल विकारों का जोखिम अधिक हो सकता है। अल्जाइमर रोग, मिर्गी, माइग्रेन, मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस), पार्किंसंस रोग और स्ट्रोक जैसी समस्याएं उनमें प्रमुख हैं।
हार्मोनल बदलाव प्रमुख कारणों में से एक! | Neurological Disorders
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होने का जोखिम अधिक होता है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को बढ़ाने वाले माने जाते हैं। जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कई बार बदलाव आता है। एस्ट्रोजेन हार्मोन महिला के यौन और प्रजनन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मस्तिष्क, हड्डियों, त्वचा, बाल और अन्य अंगों पर भी इसका असर होता है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन असंतुलन के कारण महिलाओं में माइग्रेन होने का खतरा अधिक होता है।
महिलाओं में अल्जाइमर रोग का खतरा | Neurological Disorders
अध्ययनों से पता चलता है कि अल्जाइमर रोग का खतरा भी महिलाओं को अधिक होता है। अल्जाइमर रोग से दुनियाभर में पीड़ित दो-तिहाई मरीज महिलाएं हैं। इसके लिए भी हार्मोनल बदलाव एक कारण है। शोध में पाया गया है कि एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर को अल्जाइमर रोग के प्रभावों से बचाता है, हालांकि रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण महिलाओं में इस विकार का खतरा पुरुषों की तुलना में बढ़ जाता है।
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से कैसे बचें? | Neurological Disorders
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि अब ये स्पष्ट हो चुका है कि महिलाओं को 50-55 की आयु (रजोनिवृत्ति) के बाद न्यूरोलॉजिकल समस्याएं अधिक हो सकती हैं इसलिए कम उम्र से ही कुछ बातों का ध्यान रखकर भविष्य में आप अपने जोखिमों को कम करने का प्रयास कर सकती हैं। इसके लिए संतुलित आहार का सेवन सबसे महत्वपूर्ण है। पत्तेदार सब्जियां, वसायुक्त मछली, मेवे और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर चीजों का सेवन अधिक करें। इसके अलावा शारीरिक गतिविधियां और नियमित योग की आदत मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को सुधारने और तंत्रिका संबंधी विकारों के जोखिम को कम करने में सहायक है, इसलिए रोजाना व्यायाम जरूर करें। स्ट्रेस मैनेजमेंट, अच्छी नींद लेना भी भविष्य में इन समस्याओं से बचाव के लिए आवश्यक है।