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नज़र की कमजोरी को न करें अनदेखा, जानिए आंखों की रौशनी बढ़ाने के टिप्स

हमारी आंखों में जब तक कोई तकलीफ न हो, तब तक हम अक्सर इनकी देखभाल को नजरअंदाज करते हैं। मगर, छोटी सी परेशानी भी कभी-कभी बड़ी समस्या का संकेत हो सकती है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि किन कारणों से आंखों की रौशनी कमजोर होने लगती है, उसके संकेत क्या हैं और कब हमें आंखों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से मिलना चाहिए।

आंखों की रोशनी कम होने पीछे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्युलर डिजनरेशन और खराब लाइफस्टाइल जिम्मेदार हो सकते हैं। मोतियाबिंद में आंखों का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे धुंधला दिखाई देता। ग्लूकोमा आंखों की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है। वहीं, बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम, पोषण की कमी और धूम्रपान भी आंखों की रौशनी कम होने का कारण बन सकते हैं।

नजर कमजोर होने पर दिखते हैं ये लक्षण

अगर किसी व्यक्ति को लगातार धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाए, चाहे पास की चीज़ें हों या दूर की तो यह दृष्टिदोष का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत नेत्र चिकित्सक से मिलना चाहिए, क्योंकि समय पर चश्मे का उपयोग या अन्य उपचार से दृष्टि को बचाया जा सकता है।

अगर अचानक दृष्टि में कमी आए या कुछ समय के लिए अंधेरा सा छा जाए, तो यह एक आपात स्थिति हो सकती है और इसमें देरी करना खतरे से खाली नहीं है।

आंखों में लगातार जलन, खुजली, या लाली होना भी एक संकेत है कि आंखों को विशेष देखभाल की आवश्यकता है। यह एलर्जी, संक्रमण या ड्राय आई सिंड्रोम का लक्षण हो सकता है। इन सभी स्थितियों में स्वयं से इलाज करने के बजाय डॉक्टर की सलाह लेना उचित होता है।

अगर आंखों से पानी लगातार बह रहा हो या बार-बार आंसू आएं, तो यह भी किसी अंदरूनी समस्या का संकेत हो सकता है।

बहुत से लोग सिरदर्द को सामान्य तनाव मानकर टाल देते हैं, लेकिन अगर सिरदर्द के साथ आंखों में भारीपन या दर्द भी हो रहा है, तो यह नेत्र संबंधी समस्या हो सकती है।

आंखों की रौशनी बचाने के उपाय

बच्चों में यदि पढ़ाई के समय आंखें मिचमिचाना, बार-बार आंखें मलना या टीवी बहुत पास से देखना जैसी आदतें दिखें, तो तुरंत नेत्र परीक्षण करवाना चाहिए।

डायबिटीज़ या हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए, क्योंकि इन बीमारियों का सीधा असर आंखों की नसों पर पड़ सकता है।

वृद्ध व्यक्तियों को भी वर्ष में कम से कम एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए ताकि मोतियाबिंद जैसी समस्याओं को समय रहते पहचाना जा सके।

इसके अलावा अपनी लाइफस्टाइल अच्छी करें, आंखों की रौशनी बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें।

आंखों की एक्सरसाइज करें और टीवी मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें।

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