बलगम या म्यूकस भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्या पैदा करता है। बलगम एक जिलेटिनस पदार्थ है, जो फेफड़ों, गले, नाक और शरीर के कुछ अन्य हिस्सों में जमा होता है। इसमें हवा में हानिकारक बैक्टीरिया को मारने या बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किए गए एंटीबॉडी और एंजाइम होते हैं।
पर जब यह शरीर में जमने लगता है, तो व्यक्ति के लिए मुश्किलें बढ़ने लगती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है सिस्टिक फाइब्रोसिस । यह एक गंभीर बीमारी है। यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया जाए, तो यह समस्या गंभीर हो सकती है।
क्या है सिस्टिक फाइब्रोसिस
प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सीनियर कन्सल्टेंट (प्ल्मोनरी एंड स्लीप मेडिसिन) डॉ. अंबरीश जोशी बताते हैं, ‘सिस्टिक फाइब्रोसिस बीमारी के कारण फेफड़े, पाचन तंत्र और शरीर के अन्य क्षेत्रों में गाढ़ा, चिपचिपा बलगम जमा हो जाता है। यह बच्चों और युवा वयस्कों में सबसे आम क्रोनिक फेफड़ों की बीमारियों में से एक है। यह एक जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।’
क्या हैं सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण
डॉ. अंबरीश जोशी बताते हैं, ‘सिस्टिक फाइब्रोसिस (CF) बीमारी परिवार में फैलती है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हो सकती है। यह दोषपूर्ण जीन के कारण होता है, जो शरीर में असामान्य रूप से गाढ़ा और चिपचिपा तरल पदार्थ पैदा करता है। इसे बलगम कहा जाता है। यह बलगम फेफड़ों के श्वसन मार्ग और अग्न्याशय में बनता है।
बलगम के बनने और जमने से फेफड़ों में संक्रमण और गंभीर पाचन समस्याएं होती हैं। यह घातक भी हो सकता है। यह मनुष्य की पसीने की ग्रंथियों और प्रजनन प्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है।
कितने जीन जिम्मेदार
डॉ. अंबरीश जोशी के अनुसार, बहुत से लोगों में सीएफ जीन होता है, लेकिन उनमें लक्षण नहीं होते हैं। सीएफ वाले व्यक्ति को 2 दोषपूर्ण जीन विरासत में मिलने चाहिए। प्रत्येक माता-पिता से 1-1। सीएफ वाले ज्यादातर बच्चों में 2 साल की उम्र में डायग्नोसिस कर लिया जाता है। कई बार बीमारी का पता 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र तक नहीं चलता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस में नजर आ सकते हैं ये लक्षण
देर से शरीर में डेवलपमेंट होना, वजन सामान्य से कम होना, जन्म लेने के पहले 24 से 48 घंटों के दौरान मल त्याग नहीं होना, बच्चों में लक्षण देखे जा सकते हैं। बड़े लोगों में गंभीर कब्ज से पेट दर्द, गैस, सूजन, मतली और भूख न लगना, वजन घटना हो सकता है।
फेफड़े और साइनस से संबंधित लक्षणों में खांसी आना या साइनस या फेफड़ों में बलगम का बढ़ना, थकान, नेज़ल पॉलिप्स के कारण नाक बंद होना हो सकता है।
क्या है सिस्टिम फाइब्रोसिस का इलाज
सबसे अधिक मरीज की केयर जरूरी है। सिस्टिक फाइब्रोसिस स्पेशलिटी क्लिनिक में मरीज की देखभाल करनी चाहिए। जब बच्चे बड़े हो जाएं, तो उन्हें एडल्ट के लिए सिस्टिक फाइब्रोसिस स्पेशल सेंटर में स्थानांतरित कर देना चाहिए।
फेफड़ों और साइनस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जा सकता है। इन्हें ओरली लिया जा सकता है, या इंट्रा वेनस दिया जा सकता है।
एंटीबायोटिक्स से उपचार
इलाज सांस के माध्यम से भी किया जा सकता है। सीएफ वाले लोग केवल जरूरत पड़ने पर या हर समय एंटीबायोटिक्स ले सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी दवा नहीं लेनी चाहिए।
फ्लू का टीका और न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड टीका भी दिया जाता है। कुछ मामलों में फेफड़े का प्रत्यारोपण एक विकल्प है। फेफड़ों की बीमारी बदतर होने पर ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ती है।