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कुपोषण पर सरकार का प्रहार, सवा दो करोड़ लोगों का जीवन बचाया

छह साल तक के एक करोड़ 82 लाख कुपोषित बच्चों का बेहतर बनाया गया स्वास्थ्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कुपोषण के विरुद्ध निर्णायक अभियान चलाते हुए सवा दो करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को नई दिशा दी है। स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए प्रदेश के सभी 75 जिलों में समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) की 897 परियोजनाओं को प्रभावी रूप से धरातल पर उतारा गया है। जिसके तहत छह साल तक के एक करोड़ 82 लाख कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर बनाया गया। प्रदेश में कुपोषण की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक करोड़ों बच्चों, महिलाओं और किशोरियों को लाभान्वित किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं के शत-प्रतिशत अनुपालन के स्पष्ट निर्देश दिए हैं, जिससे आमजन का स्वास्थ्य और पोषण स्तर बेहतर हो सके।

आंगनवाड़ी केंद्रों की निगरानी और बच्चों की समयसमय पर होगी जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य एवं पोषण योजनाओं में किसी भी प्रकार की शिथिलता को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सभी लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ समय से पहुंचे। आंगनवाड़ी केंद्रों की निगरानी, पोषण ट्रैकिंग, बच्चों की समय-समय पर जांच और आवश्यक पोषक आहार की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

चिकित्सकों, पोषण विशेषज्ञों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मिलकर बच्चों का स्वास्थ्य सुधारा

राज्य में छह वर्ष तक की उम्र के लगभग 1.82 करोड़ बच्चों की स्थिति में सकारात्मक सुधार दर्ज किया गया है। इनमें से 1.33 लाख अति-कुपोषित बच्चों की विशेष देखभाल की गई है। चिकित्सकों, पोषण विशेषज्ञों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सामूहिक भूमिका से बच्चों के स्वास्थ्य की काया-पलट हो रही है।

गर्भवती और धात्री महिलाओं पर विशेष फोकस

योगी सरकार गर्भवती और धात्री महिलाओं को विशेष पोषण सहायता और चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रही है। 13.5 लाख गर्भवती और 10.70 लाख धात्री महिलाओं को आईसीडीएस योजना के तहत नियमित पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। यह प्रयास शिशु मृत्यु दर में गिरावट लाने में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

प्रदेशभर में चलाया गया जागरूकता अभियान

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में व्यापक स्तर पर कुपोषण के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया है। ग्राम पंचायतों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों में प्रचार-प्रसार कर लोगों को कुपोषण के दुष्प्रभाव और पोषण के महत्व की जानकारी दी जा रही है। साथ ही उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है।

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