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Diabetes से हैं परेशान, विशेषज्ञों की ये सलाह ज़रूर मान लेनी चाहिए

Diabetes Controlling and Caring Tips: आपको या आपके घर में किसी को डायबिटीज़ यानी मधुमेह की बीमारी है तो कोशिश यही होती है कि शुगर कम से कम खाई जाए. घर में मिठाइयां नहीं आती हैं. चाय में चीनी नहीं डाली जाती. बिस्किट ऐसे खरीदे जाते हैं, जिन पर ‘नो ऐडेड शुगर’ लिखा हो. मगर इतनी मेहनत के बावजूद आप रोज़ ऐसी बहुत सी चीज़ें खा रहे हैं, जिनमें शुगर छिपी है और आपको पता भी नहीं.

खाने-पीने की किन चीज़ों में शुगर छिपी होती है? | Diabetes Controlling and Caring Tips

खाने की कई चीज़ों में छिपी हुई शुगर होती है. जैसे बिस्कुट, तली-भुनी और फैटी चीज़ों में. इनसे बहुत ज़्यादा कैलोरीज़ मिलती हैं. चीनी, शहद और मिठाई से परहेज़ करना अच्छी बात है. लेकिन अगर आप तली हुई चीज़ें और बिस्कुट खा रहे हैं, जिनमें ज़्यादा कैलोरीज़ होती हैं तो इनसे दूरी बनाना ज़रूरी है. इससे इतर, लोगों में एक भ्रम है कि आलू और चावल खाने से शुगर बढ़ती है. डायबिटीज़ वालों के लिए आलू और चावल बिल्कुल भी मना नहीं है. दरअसल, चावल और आलू खाने से कैलोरी या शुगर बढ़ने की संभावना स्टार्च की वजह से होती है.

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इसलिए हमें इन्हें अलग तरीके से बनाना चाहिए. जैसे अगर चावल को ज़्यादा पानी में उबालें और उसमें जितना भी स्टार्च (माड़) है, उसे निकाल दें. तो हम दोनों मील में चावल खा सकते हैं, जैसे दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल के लोग खाते हैं. यानी चावल खाना बिल्कुल मना नहीं है. इसी तरह, अगर हम आलू उबालकर खाएं क्योंकि उसके पानी में ज़्यादातर स्टार्च आ जाता है तो ऐसा आलू खाने में कोई दिक्कत नहीं है. कुल मिलाकर, डायबिटीज़ वालों के लिए आलू और चावल मना नहीं है.

पैक्ड आइटम के लेबल को ज़रूर चेक करें| Diabetes Controlling and Caring Tips

हर फूड पैकेट के ऊपर फूड लेबलिंग रहती है जो आगे, पीछे और किनारों पर दी जाती है. लेबलिंग पर लिखा रहता है कि उसमें कितनी सर्विंग्स हैं, और प्रति सर्विंग में कितनी कैलोरीज़, कार्बोहाइड्रेट्स, ऐडेड शुगर या ज़ीरो शुगर है. ज़्यादातर फूड पैकेट्स पर भले ज़ीरो शुगर लिखा रहता हो, मगर उनमें इनबिल्ट शुगर भी होती है. इसलिए, खरीदारी करते समय हमेशा फूड लेबल्स चेक करें. देखें कि उसमें प्रति सर्विंग्स पर कितनी कैलोरीज़, कार्ब्स और ऐडेड शुगर है. आजकल पैकेटबंद जूस आते हैं. इन पर नो ऐडेड शुगर लिखा होता है लेकिन फिर भी इनमें इनबिल्ट शुगर होती है. जैसे अगर 150 ml के आसपास पैकिंग है तो उसमें करीब 14 ग्राम शुगर होती ही है. इसलिए, खरीदने पर ये ज़रूरी देखें कि पैकेट में कितनी शुगर है और सेहत के लिए वो कितनी फायदेमंद या नुकसानदेह है. बहुत सारे कोल्ड ड्रिंक्स पर ज़ीरो शुगर लिखा होता है. इसका मतलब ये नहीं कि इनमें ज़ीरो शुगर है. इनमें इनबिल्ट शुगर तो होती ही है जो हमारे लिए हानिकारक है.

स्नैक्स के हेल्दी विकल्प | Diabetes Controlling and Caring Tips

  • सब्ज़ियों का सूप
  • सेब, अमरूद और पपीता जैसे फल
  • मेवे और भुना चना
  • रोस्टेड यानी सिके हुए स्नैक्स
  • दही और छाछ
  • ताज़े काले चने या अंकुरित मूंग
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मीठे से क्यों हो जाती है डायबिटीज़? | Diabetes Controlling and Caring Tips

जब हम मीठा खाते हैं तो उनमें ग्लूकोज़, माल्टोज़, सूक्रोज़ और फ्रक्टोज़ जैसे कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जिन्हें पाचन की बहुत कम आवश्यकता होती है. ये सीधे खून में घुल जाते हैं इसीलिए इसे खाने के बाद शुगर लेवल तेज़ी से बढ़ता है.

डायबिटीज़ में एक्सरसाइज़ ज़रूरी | Diabetes Controlling and Caring Tips

शुगर कंट्रोल करने में एक्सरसाइज़ की बहुत अहम भूमिका है. ये ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वज़न कंट्रोल करती है. भारत में जितने भी डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, उनमें से 95 फ़ीसदी को टाइप 2 डायबिटीज़ है. टाइप 2 डायबिटीज़ का मुख्य कारण इंसुलिन रेज़िस्टेंस है. इस इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने की वजह फिज़िकली एक्टिव न होना, असंतुलित डाइट और स्ट्रेस हैं. जब हम एक्सरसाइज़ करते हैं तब इंसुलिन रेज़िस्टेंस कम होता है और इंसुलिन सेंसेटिविटी बढ़ती है. ओवरवेट होने पर इंसुलिन सही तरीके से शरीर में काम नहीं कर पाता. इस वजह से इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने लगता है. इस रेज़िस्टेंस को खत्म करने के लिए एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है.

एक्सरसाइज़ करने से वज़न भी कम होता है. वज़न कम होने से ब्लड शुगर लेवल कम होते हैं. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में आता है. ट्राइग्लिसराइड और LDL कोलेस्ट्रॉल के लेवल भी काफी कम होते हैं. साथ ही, HDL कोलेस्ट्रॉल (जिसे अच्छा माना जाता है) का लेवल बढ़ जाता है. एक्सरसाइज़ न करने पर वज़न बढ़ जाता है. डायबिटीज़ बढ़ जाती है. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है. इस वजह से हार्ट अटैक, किडनी फ़ेलियर, लिवर फ़ेलियर के चांस भी बढ़ जाते हैं. महिलाओं में PCOD के मामले बढ़ जाते हैं. यानी हर व्यक्ति के लिए चलना बहुत ज़रूरी है.

डायबिटीज़ के मरीज़ कौन-सी एक्सरसाइज करें? | Diabetes Controlling and Caring Tips

एक्सरसाइज़ मुख्य रूप से तीन तरह की होती हैं- एरोबिक्स, रेज़िस्टेंस और फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज़. एरोबिक्स एक्सरसाइज़ को बार-बार एक लय में किया जाता है. जैसे चलना, दौड़ना, तैरना और साइकिल चलाना. इसमें हमारी मांसपेशियां एक ही काम बार-बार करती हैं. एरोबिक्स रेगुलर रेपिटेटिव एक्सरसाइज़ होती है. ये सबसे आम एक्सरसाइज़ है. गाइडलाइंस के मुताबिक, हफ्तेभर में 150 मिनट एरोबिक्स एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. रोज़ के हिसाब से देखें तो प्रति दिन 20 मिनट पर्याप्त रहेंगे. हालांकि किस स्पीड पर चलना या दौड़ना है, ये आपकी क्षमता और आदत पर निर्भर करता है. अगर आप बिल्कुल नहीं चल रहे और अब डॉक्टर ने चलने की सलाह दी है तो एकदम से अपनी स्पीड न बढ़ाएं. आप धीरे-धीरे आराम से एक्सरसाइज़ करें. इस तरह से कि एक्सरसाइज़ भी हो और आपको अच्छा भी लगे. अगर दिक्कत महसूस हो रही है तो इसका मतलब वो एक्सरसाइज़ आपके लिए सही नहीं है.

अब आती हैं स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़. ये मांसपेशियों को ताकत देती हैं. इन्हें रेज़िस्टेंस एक्सरसाइज़ भी कहा जाता हैं. इनमें वेट उठाया जाता है, शरीर को वज़न बनाकर भी कई स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ की जाती हैं. हालांकि ये एक्सरसाइज़ डॉक्टर की सलाह पर ही करें. अगर इन्हें सही तरीके से न किया जाए तो चोट लगने के चांस होते हैं. तीसरी हैं, फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज़. इन्हें करके बैलेंस बनाना सीखते हैं. बैलेंस के लिए जापान में ताई ची और भारत में योग है. ये बहुत ज़रूरी एक्सरसाइज़ हैं. इनसे संतुलन सुधरता है और शरीर लचीला बनता है. अगर रोज़ एक्सरसाइज़ कर रहे हैं तो प्रति दिन 20 से 30 मिनट करें. अगर रोज़ नहीं कर सकते तो हफ्ते में 5 दिन एक्सरसाइज़ करें. कोशिश करें कि जिन दो दिनों पर आपने एक्सरसाइज़ नहीं की है, वो लगातार न हों. अगर लगातार 2 दिन एक्सरसाइज़ नहीं करेंगे तो ये शरीर के लिए सही नहीं होगा. जैसे अगर आज एक्सरसाइज़ नहीं की तो आप 4 दिन बार दूसरा गैप दे सकते हैं.

डायबिटीज़ में किस तरह की डाइट लें? | Diabetes Controlling and Caring Tips

  • संतुलित आहार लें, जैसे रोटी, सब्ज़ी, दाल, चावल.
  • सभी तरह की सब्ज़ियां ले सकते हैं.
  • सर्दियों में गोभी, परवल, टमाटर, मटर खा सकते हैं.
  • गर्मियों में भिंडी ले सकते हैं, करेला खा सकते हैं.
  • कई मरीज़ करेले या लौकी का जूस पीते हैं तो उन्हें जूस के बजाय इसकी सब्ज़ी खानी चाहिए.
  • जिन सब्ज़ियों में म्यूसिन ज़्यादा होता है, जैसे भिंडी, उन्हें भिगोकर उनके पानी का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है. ये हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ के डायरेक्ट एब्जॉर्प्शन में देरी करता है.
  • खाने में फैट और तली-भुनी चीज़ें कम हों.

आपकी थाली में प्रोटीन ज़रूर हो. आमतौर पर हमारी थाली में 60-70% कार्बोहाइड्रेट होता है, 20-25% फैट होता है. लेकिन हमारी थाली में 5% भी प्रोटीन नहीं होता इसलिए प्रोटीन ज़रूर लें. आप दालें, अंडा खा सकते हैं. अगर कोई नॉन-वेज खाता है तो वो रोस्टेड चीज़ें ले सकते हैं. जैसे मछली, चिकन और वाइट मीट. मटन और रेड मीट को अवॉइड करें. इस तरह की संतुलित डाइट से शुगर का कंट्रोल अच्छा रहेगा.

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