स्वास्थ्य और बीमारियां

आपको भी शरीर में दिखें ये संकेत तो हो जाएं सावधान!, हो सकती है गंभीर समस्‍या

हमारी शररी में अगर किसी प्रकार का विकार उत्‍पन्‍न होने वाला होता है तो उसका संकेत हमें पहले ही मिलने लगता है। बस, बात है कि उन संकेतों को नजरअंदाज न किया जाए। अगर आप सूजन को आम तकलीफ समझते हैं तो आप गलत हो सकते हैं। शरीर पर बाहर से दिखने वाली सूजन एक तरह से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हो सकती है। मगर, जो इनफ्लेमेशन (Inflammation) शरीर के भीतर हो चुका है, वो किसी बड़ी तकलीफ का संकेत या शुरुआत हो सकते हैं। इसलिए, इनफ्लेमेशन को भूल से भी हल्के में न लें।

क्या है एक्यूट इन्फ्लेमेशन? (What is Acute Inflammation?)

एक्यूट इन्फ्लेमेशन एक हेल्दी प्रोसेस है, जिसमें शरीर चोटों को ठीक करने और इंफेक्शन से लड़ने के लिए ये तरीका अपनाता है। जैसे ही शरीर को चोट लगती है या इंफेक्शन होता है, आपके शरीर के सेल्स और इम्यून सिस्टम दोनों सक्रिय हो जाते हैं। बुखार, दर्द, रेडनेस और इनफ्लेमेशन इसके सामान्य लक्षण हैं। यह सब व्हाइट ब्लड सेल्स के जरिए, शरीर को बचाने के लिए किया जाता है। इन्फ्लेमेशन की ये प्रोसेस पूरी होते ही शरीर सामान्य अवस्था में लौट आता है।

क्‍या है क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन? (What is Chronic Inflammation?)

जब शरीर लंबे समय तक किसी इंफेक्शन के लिए वॉर्न करता है, लेकिन खुद उस से डील नहीं कर पाता तो इस तरह का इन्‍फ्लेमेशन होता है। यह इन्‍फ्लेमेशन लंबे समय तक बना रहता है, जिसका नतीजा ये होता है कि यह हेल्दी टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकता है और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। क्रॉनिक इन्‍फ्लेमेशन भी दो तरह का होता है, लोकल इन्‍फ्लेमेशन- जब किसी खास जगर पर लंबे समय तक समस्या बनी रहती है, जैसे कि दांत के इंफेक्शन। सिस्टमेटिक इन्‍फ्लेमेशन- जब यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है, जैसे किसी गंभीर बीमारी के कारण।

क्रॉनिक इन्‍फ्लेमेशन के लक्षण (Symptoms of Chronic Inflammation)

एक्यूट इन्‍फ्लेमेशन के दौरान बुखार, दर्द और थकान जैसे लक्षण सामान्य होते हैं, लेकिन जब ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें या बार-बार हों तो यह क्रॉनिक इनफ्लेमेशन का संकेत हो सकता है।

बुखार और रात में पसीना आना।

लगातार थकान महसूस होना।

बिना वजह वजन बढ़ना या घटना।

स्किन से जुड़ी समस्याएं।

जोड़ों या मसल्स में दर्द।

पेट से जुड़ी समस्याएं, जैसे- दस्त, कब्ज या एसिडिटी।

बार-बार बीमार पड़ना।

इन्‍फ्लेमेशन के मुख्य कारण (Main Reasons of Inflammation)

इंफेक्शन

ऑटोइम्यून डिसीजेज

चोट लगना।

इन्‍फ्लेमेशन कम करने के तरीके (Tips for Reduce Inflammation)

लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके क्रॉनिक इन्‍फ्लेमेशन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

बैलेंस डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट के जरिए भी राहत हासिल की जा सकती है।

पुराने इन्‍फ्लेमेशन के कारण (Reason of Old Inflammation)

 ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे- ल्यूपस, रूमेटॉयड आर्थराइटिस और सोरायसिस।

दिल की बीमारियां, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर।

पाचन तंत्र की समस्याएं, जैसे- क्रोन्स डिजीज और इंटेस्टाइन में इन्‍फ्लेमेशन।

फेफड़ों की बीमारियां, जैसे- अस्थमा।

मेटाबॉलिक बीमारियां, जैसे- टाइप 2 डायबिटीज।

Diet चेंज करने से मिलेगी राहत

प्रोसेस्ड और फैटी फूड्स, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और रेड मीट से भरपूर आहार इन्‍फ्लेमेशन को बढ़ा सकता है और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। ऐसे में हेल्दी और बैलेंस डाइट लेने से इन्‍फ्लेमेशन को कम किया जा सकता है।  

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