एक व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती है. एक किडनी के सहारे भी इंसान काफी दिनों तक जिंदा रह सकता है. लेकिन जब दोनों किडनियां काम करना बंद कर दें तो इंसान को बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. एक इंसान में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत तब पड़ती है जब उसकी दोनों किडनी काम करना बंद कर दें. किडनी ट्रांसप्लांट में खराब किडनी को निकालकर अच्छी किडनी लगाई जाती है.
कब होती है किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत?
किडनी जब पूरी तरह से खराब हो जाती है. यानि किडनी लास्ट स्टेज में पहुंच जाती है तब किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. ब्लड को प्यूरीफाई करने का काम किडनी का है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती है तो मरीज की जान का खतरा भी होता है. तभी मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है.
क्या खराब किडनी पूरी तरह हटा दी जाती है?
किडनी ट्रांसप्लांट वाला व्यक्ति अगर जिंदा है तो ट्रांसप्लांट की तैयारी डोनर के हिसाब से की जाती है. अगर किसी मरे हुए व्यक्ति की किडनी लेनी है तो ट्रांसप्लांट केंद्र मरीज को किडनी मिलने के बाद पूरी जानकारी देता है. इसके बाद ही सर्जरी होती है. आमतौर पर खराब किडनी को हटाया नहीं जाता है बल्कि उसी किडनी के निचले हिस्से में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके बाद लगी हुई किडनी को ब्लड वेसल्स और ब्लैडर के साथ जोड़ा जाता है.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज कितने दिनों में ठीक होता है?
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को ठीक होने में 6 हफ्ते का वक्त लगता है लेकिन यह समय बढ़ भी सकता है. यह पूरी तरह मरीज के स्वास्थ्य पर डिपेंड करता है.
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किडनी डोनेट के बाद की जरूरी बातें
एक्सपर्ट के मुताबिक, किडनी डोनेट करने के बाद डोनर को कई बातों का ख्याल रखना पड़ता है. किडनी डोनेट करने के बाद अगर किसी भी तरह की दिक्कत होती है तो बिना समय गंवाए डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. किडनी डोनेट करने के बाद ब्लड प्रेशर, यूरिन टेस्ट, ब्लड यूरिया टेस्ट और इसके बाद फुल बॉडी चेकअप करवाना बेहद जरूरी है.
किडनी ट्रांसप्लांट पर सरकारी आंकड़ें
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 5 सालों में भारत में सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए गए है. उसके बाद लिवर और दिल के ट्रांसप्लांट हुए हैं. 8 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल ऑर्ग्न टिश्यूज ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों को लोकसभा में पेश किया गया.
इस सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते 5 सालों में भारत में काफी ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं. इस आंकड़े के मुताबिक, 43 हजार 983 लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है. जो कि ऑर्गन ट्रांसप्लांड का 75 प्रतिशत है. वहीं 22 प्रतिशत यानि 13 हजार लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है. वहीं 911 लोगों ने हार्ट ट्रांसप्लांट करवाया. छोटी आंत का ट्रांसप्लांट एक प्रतिशत से भी कम लोग करवाते हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में भारत वर्ल्ड रैंकिंग में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आता है. हालांकि, यह केवल जीवित दान के रूप में होता है, शव के रूप में नहीं.
किडनी ट्रांसप्लांट दो तरह के होते हैं-
Mint में छपी खबर के मुताबिक, मेदांता के नेफ्रोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण के वरिष्ठ निदेशक और विभाग प्रमुख डॉ. श्याम बिहारी बंसल के मुताबिक, भारत में 80 प्रतिशत से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट जिंदा लोगों से लेकर की जाती है. रिसीवर से ऑर्गन मैच करने के बाद आसानी से किडनी डोनेट की जा सकती है. फिर आराम से वह अपनी जिंदगी जी सकता है. ट्रांसप्लांट का पूरा प्रोसेस बेहद आसान और तकनीकी रूप से टफ नहीं है. वहीं हार्ट और फेफड़ों का ट्रांसप्लांट सिर्फ मृत के ऑर्गन से ही कर सकते हैं.