आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है ताकि यह प्रक्रिया सहजता से पूरी हो सके। इसके लिए, महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल, डाइट और डॉक्टर द्वारा दी गई सभी सलाहों को मानती हैं। यहां तक कि अपनी स्लीपिंग पैटर्न का भी काफी ध्यान रखती हैं। क्या आप जानते हैं कि इसी तरह महिलाओं को ट्रीटमेंट के दौरान अपनी मेडिकल हिस्ट्री का भी पता होना चाहिए।
ट्रीटमेंट प्लान सही तरह से किया जा सकता है
हर महिला के पास आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने की अलग-अलग वजह हो सकती है। इसलिए, अगर ट्रीटमेंट के दौरान यह पता चल जाए कि महिला को पहले कभी किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या नहीं थी, तो इसके डॉक्टर्स उसी के अनुसार ट्रीटमेंट को प्लान करते हैं। इसके अलावा, मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद डॉक्टर जरूरी फैसले समय पर ले सकते हैं और किसी तरह के बदलाव करवाने हों, तो उस संबंध में भी महिला को पहले से जानकारी दे सकते हैं।
किसी अन्य छिपी बीमारी का पता चल सकता है
एंडियामेट्रियोसिस और पीसीओएस कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो महिलाओं को गर्भधारण करने में बाधा डाल सकती है। अगर इस तरह की बीमारी का समय पर पता न चले, तो आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान अड़चनें भी आ सकती हैं। यही नहीं, अगर पुरुष इनफर्टिलिटी का शिकार है, तो भी बेहद जरूरी है कि डॉक्टर्स को इस संबंध में पूरी जानकारी हो। ऐसी स्थिति में, डॉक्टर वजह जानकर सही इलाज कर सकेंगे।
रिस्क का पहले से ही पता चल जाता है
आईवीएफ ट्रीटमेंट दौरान कपल की मेडिकल हिस्ट्री जानना सिर्फ इसलिए जरूरी नहीं है कि ट्रीटमेंट के दौरान आने वाली अड़चनों और बाधाओं का पता चल सके। इसके साथ ही, मेडिकल हिस्ट्री की वजह से रिस्क का भी पता लगाया जा सकता है। असल में, कुछ बीमारियां खराब लाइफस्टाइल की वजह से होती है। अगर ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले उनका पता चल जाए, तो ट्रीटमेंट के दौरान किसी भी तरह के रिस्क को कम किया जा सकता है।
सफलता दर बढ़ जाती है
आईवीएफ ट्रीटमेंट से आज तक लाखों-करोड़ों कपल्स पेरेंट बन चुके हैं। इसके बावजूद, यह आईवीएफ ट्रीटमेंट के फेलियर का रिस्क हर कपल के साथ रहता है। वहीं, अगर कपल पहले से ही अपनी मेडिकल हिस्ट्री को लेकर क्लियर रहे और डॉक्टर के पास कपल के स्वास्थ्य से संबंधित पूरा डाटा रहे, तो इससे आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर बढ़ जाती है।