Maltodextrin कई समस्याओं का कारण, जानें आपके शरीर को कैसे पहुंचाता है नुकसान

दिनों दिन प्रोसेस्ड फूड का चलन बढ़ता चला जा रहा है। दिनभर की छोटी मोटी भूख को मिटाने के लिए लोग स्नैक्स और आर्टिफिशल स्वीटनर्स से भरपूर एसिडिक बेवरेजिज़ का सेवन करते हैं। इनका स्वाद और टैक्सचर जहां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वहीं इससे स्वास्थ्य को कई प्रकार के नुकसान उठाने पड़ते हैं।
प्रोसेस्ड फूड्स को तैयार करने के लिए माल्टोडेक्सट्रिन का इस्तेमाल किया जाता है। जो एक आर्टिफिशल स्वीटनर का काम करता है। मगर इसका नियमित इनटेक शरीर में कई समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकता है।
इस बारे में हेड डायटीशियन और डाइट इंसाइट की फाउंडर लवलीन कौर बताती हैं कि माल्टोडेक्सट्रिन एक सफेद स्टार्च युक्त पाउडर है जिसे कई प्रोडक्टस के टैक्सचर, स्वाद, रंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे कार्न, पोटैटो, अनाज और राइज़ को मिलाकर बनाया जाता है, जिसका ग्लाइसेमिक इंडैक्स का लेवल टेबल शुगर से भी अधिक है।
इसे आहार में शामिल करने से ये बॉडी में स्वाइक करता है। जहां टेबल शुगर का जीआई 65 है तो माल्टोडेक्सट्रिन का ग्लाइसेमिक इंडैक्स 110 है। डेजर्ट, प्रोटीन शेक, सूप सैशेट, सप्लीमेंट्स, पीनट बटर, पोटैटो चिप्स, बेबी फॉर्मुल, एसिडिक बैवरेजिज़ और इंस्टेंट कॉफी में पाया जाता है। इससे इंसुलिन लेवल और गट हेल्थ को नुकसान पहुंचता है।
माल्टोडेक्सट्रिन शरीर को कैसे पहुचांता है नुकसान
हाई शुगर लेवल का जोखिम
खाद्य पदार्थों में माल्टोडेक्सट्रिन को सीमित मात्रा में प्रयोग किया जाता है। मगर इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स टेबल शुगर से अधिक होता है। ऐसे में माल्टोडेक्सट्रिन भरपूर फूड का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल स्पाइक होने लगता है। वे लोग जो डायबिटीज़ के शिकार हैं, उन्हें इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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पुडिंग, जिलेटिन, सॉसेज और सेलेड ड्रंसिंग पर इस्तेमाल किए जाने वाले इस पदार्थ से ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी होने लगती है। ऐसे में शुगर लेवल को मॉनिटर करना आवश्यक है। शुगर लेवल बढ़ने से बार-बार प्यास लगने, एकाग्रता में कमी, थकान और धुंधलेपन की समस्या का सामना करना पड़ता है।
गट इंफ्लामेशन
सीएमजीएच जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, माल्टोडेक्सट्रिन का सेवन आंत में सूजन को बढ़ावा देने लगता है, जिससे क्रानिक इंफ्लामेटरी डिज़ीज़ का खतरा बढ़ जाता है। माल्टोडेक्सट्रिन से भरपूर आहार से आंतों की प्रोटेक्टिव म्यूकस लेयर में खराबी का जोखिम बढ़ जाता है। इसके नियमित सेवन से इंटेस्टाइन माइक्रोबायोटा में कुछ बदलाव नज़र आने लगते हैं।
ज्यादा मात्रा में माल्टोडेक्सट्रिन एडिड फूड खाने से पेटदर्द, ब्लोटिंग, अपच और डायरिया जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं बढ़ सकती हैं। फूड की थिकनेस को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस फूड कंटेट से शरीर में हार्मफुल बैक्टीरिया बढ़ने लगते है और वेट गेन का भी सामना करना पड़ता है।
वेटगेन
खाने में इस्तेमाल किया जाने वाला माल्टोडेक्सट्रिन प्रोसेस्ड फूड की थिकनेस और वॉल्यूम को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस आर्टिफिशल स्टीटनर का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल कैलोरीज़ इनटेक का कारण बनने लगता है। माल्टोडेक्सट्रिन से सिपंल कार्ब्स की प्राप्ति होती है, जो ब्लड स्टरीम में आसानी से एबजॉर्ब हो जाती है। इसके नियमित सेवन से मोटापा बढ़ने का खतरा बना रहता है।
क्या है इसका बचाव
माल्टोडेक्सट्रिन के खतरे से बचने के लिए आहार में स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों की खोज कर सकते हैं। इसके स्थान पर आहार में मिठास को जोड़ने के लिए शहद, ब्राउन शुगर, गुड और कोकोनट वॉटर का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा वे आहार जिनमें इसकी उच्च मात्रा पाई जाती है। उसका सेवन करने से भी बचें। साथ ही आहार की पौष्टिकता को बढ़ाने के लिए फलों का भी प्रयोग किया जा सकता है। वहीं थिकनिंग एजेंट के स्थान पर फलों को मैशर करके रेसिपी में एड किया जा सकता है।