मई 2024 में भारत में भीषण गर्मी पड़ी, जिसमें अधिकतम और न्यूनतम तापमान दोनों ने रिकॉर्ड तोड़ दिए. कई हिस्सों में तापमान लगातार 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ था. दिल्ली में तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जोकि एक नया रिकॉर्ड है. इस भीषण गर्मी ने लोगों की जिंदगी को काफी प्रभावित किया और कई जगहों पर हालात बिगड़ गए.
मई 2024 में भारत में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ी, जिससे पुराने सभी रिकॉर्ड टूट गए. गर्मी की यह लहर पहले से लगभग 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा थी. ये जानकारी ClimaMeter नाम की संस्था के वैज्ञानिकों के एक ताजा अध्ययन से मिली है.
वैज्ञानिकों ने क्या बताया गर्मी का कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार की गर्मी का मुख्य कारण ‘एल नीनो’ और वातावरण में बढ़ती ग्रीनहाउस गैसे हैं. ‘एल नीनो’ वह स्थिति है जब प्रशांत महासागर का पानी असामान्य रूप से गर्म हो जाता है. इसके साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों की बढ़ती मात्रा ने तापमान को और बढ़ा दिया है.
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क्या कहती है रिसर्च
वैज्ञानिकों ने देखा कि 2001 से 2023 के बीच गर्मी की घटनाएं पहले के मुकाबले काफी बदल गई हैं. उन्होंने 1979 से 2001 के समय की गर्मी से इसे तुलना की. उन्होंने पाया कि अब गर्मी की लहरें अधिक तीव्र और लंबी हो गई हैं. तापमान अधिक तेजी से बढ़ रहा है और गर्म दिनों की संख्या भी बढ़ गई है. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन इसके बड़े कारण हैं. इस बदलाव के कारण लोगों को अधिक गर्मी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे जीवन और हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है. इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.
ऐसा क्यों हो रहा है
फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के डेविड फरांडा ने कहा, “ClimaMeter के अनुसार, भारत में गर्मी की लहरें अब बहुत ही ज्यादा गर्म हो रही हैं. इसका मुख्य कारण है कि हम जीवाश्म ईंधन, जैसे कि कोयला और तेल बहुत ज्यादा जला रहे हैं.”
चिंता का विषय
- मई 2024 अब तक का सबसे गर्म महीना रहा है।
- जून 2023 से मई 2024 तक के पिछले 12 महीनों में हर महीने ने अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
- अप्रैल और मई की गर्मी के कारण अप्रैल 19 से जून 1 तक चले आम चुनावों में वोटिंग कम रही.
- केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, भारत के 150 बड़े जलाशयों में जल भंडारण केवल 22% रह गया है, जिससे कई राज्यों में पानी की कमी और हाइड्रोपावर उत्पादन पर असर पड़ा है.
- भीषण गर्मी ने भारत की बिजली की मांग को रिकॉर्ड 246 गीगावाट तक पहुंचा दिया है.
- मार्च से मई तक भारत में लगभग 25,000 हीट स्ट्रोक के मामले और 56 मौतें दर्ज की गई हैं.