ज्यादा विचार करना, किताबें पढ़ना और छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित रहना न केवल किसी व्यक्ति की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है बल्कि इससे दिमाग पर भी बोझ बढ़ जाता है। दरअसल, मन में बढ़ने वाली उलझन धीरे-धीरे ब्रेन पर ओवरलोड का कारण बनने लगती है, जिससे अधिकतर लोगों को कॉग्नीटिव ओवरलोड की समस्या का सामना करना पड़ता है।
कॉग्नीटिव ओवरलोड यानि संज्ञानात्मक अधिभार उस स्थिति को कहा जाता है जब मस्तिष्क को एक ही बार में प्रोसेस करने के लिए एक से ज्यादा कार्यों में उलझा दिया जाता है। ब्रेन में बहुत अधिक जानकारी को एकत्रित कर लेते हैं, जिससे डिसीज़न मेकिंग में समस्या आने लगती है। ऐसे में ब्रेन को सभी चीजें याद रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
आज के दौर में जहां लोग गैजेट्स के सहारे चीजों को याद रखते हैं, ऐसे में अगर ब्रेन को एक साथ कुछ कमांडस दे दी जाती है, तो उससे ब्रेन पर ओवरलोड हो जाता है। इस समस्या से डील करने के लिए कार्यों के बीच ब्रेक लेना और ज़रूरी कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही कुछ खास टिप्स को फॉलो करना चाहिए।
मेमोरी और ब्रेन पॉवर को होता है नुकसान
इस बारे में डॉ युवराज पंत बताते हैं कि थिंकिग, परसेप्शन और मेमोरी को मिलाकर कॉग्निशन बनता है, जो ब्रेन से पूरी तरह से कनेक्टेड है। जब ब्रेन अपनी क्षमता से ज्यादा कार्य करने लगे यानि ज्यादा याद करना, पढ़ना और चिंतन करने को काग्नीटिव लोड कहते हैं। आवश्यकता से ज्यादा काम करने पर मस्तिष्क पर काग्निटिव लोड बढ़ने लगता है।
इंटरैक्शन डिज़ाइन फांउनडेशन के अनुसार, कॉग्नीटिव लोड उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें व्यक्ति ज्यादा तर्क और विचार करता है। ऐसे में मेमोरी से लेकर धारणा और भाषा तक कोई भी मानसिक प्रक्रिया एक संज्ञानात्मक भार यानि काग्नीटिव लोड पैदा कर देती है क्योंकि इसमें एनर्जी और एफर्ट दोनों की ही आवश्यकता होती है।
Also Read – कैंसर को ठीक कर सकते हैं भारतीय मसाले, IIT मद्रास का दावा
कॉग्नीटिव ओवरलोड से डील करने की टिप्स
कैलकुलेशन है फायदेमंद
इस बारे में डॉ युवराज पंत बताते हैं कि आर्टिफिशन काग्नीशन इस्तेमाल करने से ब्रेन को याद करने की आदत नहीं रहती है। इसके चलते अधिकतर लोग रोजमर्रा की चीजें भूलने लगते हैं। मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने और ब्रेन को एक्टिव बनाए रखने के लिए कैलकुलेटर की जगह मैनुअल ढंग से कैलकुलेशन करें। इससे दिमाग एक्टिव बना रहता है और चीजों को याद रखकर क्षमता भी बढ़ने लगती है।
मल्टी टास्किंग से बचें
एक ही समय में ब्रेन को दो से तीन चीजों में एक साथ उलझा देने से न केवल कार्य की गुणवत्ता पर उसका प्रभाव दिखता है बल्कि उन्हें पूरा करने में भी व्यक्ति थकान का अनुभव करने लगता है। इसके चलते ब्रेन पर ओवरलोड बढ़ने लगता है और किसी भी कार्य को पूर्ण ढंग से करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक समय में एक से अधिक प्रोजेक्ट्स को करने से कार्य पर पूरी तरह से फोकस करने में समस्या आती है और अटैंशन डिवाइड होने लगती है। ऐसे में मल्टी टास्किंग होने से बचें।
टाइम ब्लाकिंग मैथड को फॉलो करें
इस प्रक्रिया के अनुसार व्यक्ति हर कार्य के लिए दिनभर में अलग टाइम को ब्लॉक कर पाता है, जिससे सभी प्रोजेक्ट को सीमित समय सीमा में करने में मदद मिल जाती है। इसके लिए टास्क लिस्ट बना ली जाती है और व्यक्ति अपनी प्रायोरिटी के अनुसार कार्य का चयन कर लेता है। इससे माइंड पर किसी प्रकार के ओवरलोड से बचा जा सकता है।
माइक्रो लर्निंग
ब्रेन पर होने वाले कॉग्नीटिव ओवरलोड से बचने के लिए माइक्रो लर्निंग का प्रयास करते रहें। इससे चीजों को याद रखने और उन्हें समझने में दिक्कत नहीं आती है। एक समय में ज्यादा इंफॉर्मेशन को याद रखने में होने वाली परेशानी के चलते इसमें लर्निंग सेशन को टुकड़ों में बांट दिया जाता है। इससे चीजों को याद रख पाने में मदद मिलती है।
फिजिकली एक्टीविटी करें
मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए शारीरिक गतितिधयों को अपने रूटीन में शामिल करें। मॉडरेट एक्सरसाइज़ से लेकर योगाभ्यास शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे ब्रेन एक्टिव बना रहता और याद करने की क्षमता में सुधार होता है व फोकस बढ़ने लगता है।