Chandipura Virus News: मंकीपॉक्स संक्रमण से दुनिया के कई देश इन दिनों परेशान हैं। अफ्रीका से लेकर यूएस और एशियाई देशों में ये संक्रमण पूरी तरह से पैर पसार चुका है। इस संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए भारत सरकार ने देश में अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पुख्ता करने के निर्देश जारी किए गए हैं. भारत सरकार की गाइडलाइन्स जारी होने के बाद देशभर के अस्पतालों में इंतजाम किए जा रहे हैं. हालांकि, मंकीपॉक्स के साथ-साथ देश में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण भी लोगों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी अलर्ट में कहा गया है कि करीब दो दशकों बाद भारत, चांदीपुरा वायरस का इस तरह का खतरनाक प्रकोप झेल रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने की विशेष सावधानी बरतने की अपील
संक्रमण और रोग की गंभीरता दोनों में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण को स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीर मानते हैं। इसी साल जुलाई में गुजरात के कुछ हिस्सों से चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आए थे। इसके बाद देखते ही देखते ये संक्रमण मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पहुंच गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल जून से लेकर 15 अगस्त तक भारत में चांदीपुरा संक्रमण और इसके कारण होने वाले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 245 मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 मरीजों की मौत भी हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों से विशेष सावधानी बरतते रहने की अपील की है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा अलर्ट के मुताबिक, भारत में वैसे तो सीएचपीवी एंडेमिक स्टेज में है और पहले भी इसका प्रकोप होता रहा है। हालांकि,वर्तमान प्रकोप पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा है। इसके संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों में फैलने का खतरा नहीं होता है। प्रभावित क्षेत्रों में खेतों या झाड़ियों में जाने से बचें, यहां कीटों और टिक्स के काटने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
बच्चों को प्रभावित करता है चांदीपुरा वायरस
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वर्तमान में भारत के 43 जिलों से एईएस के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। चांदीपुरा वायरस (CHPV), रैबडोविरिडे फैमिली का सदस्य है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण संक्रमण होने का खतरा अधिक देखा जाता है। यह ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है और शुरुआत में इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। मच्छरों, टिक्स और कुछ प्रकार की मक्खियों के काटने से इसका संक्रमण फैलता है। चांदीपुरा वायरस के जोखिमों को लेकर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अगर समय रहते रोगियों में लक्षणों की पहचान कर ली जाए और उचित सहायक देखभाल हो जाए तो इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रयोगशालाओं में त्वरित निदान की सुविधाएं उपलब्ध हों जिससे सैंपल टेस्टिंग के जल्द परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
क्या है चांदीपुरा संक्रमण, जानिए इसके बारे में
चांदीपुरा संक्रमण के मामले वैसे तो काफी दुर्लभ रहे हैं लेकिन इसके कारण घातक स्थितियां उत्पन्न होने का खतरा अधिक रहता है। बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला ये संक्रमण बच्चों में इंसेफेलाइटिस का कारण बन सकता है। गंभीर स्थितियों में इसके कारण कोमा और यहां तक कि मृत्यु का भी जोखिम रहता है। इस संक्रमण के कारण मृत्युदर 56 से 75 प्रतिशत तक देखी जाती रही है। संक्रमित मच्छरों, टिक्स और मक्खियों के काटने से ये संक्रमण फैलता है।
संक्रमण के लक्षणों के बारे में जानना और समय रहते इलाज प्राप्त करना सबसे आवश्यक हो जाता है। स्वच्छता और जागरूकता ही इस बीमारी के खिलाफ उपलब्ध एकमात्र उपाय है। चांदीपुरा वायरस का संक्रमण चूंकि काफी दुर्लभ है इसलिए अभी तक इसका कोई उचित इलाज नहीं है। हालांकि संक्रमण का समय पर पता लगने और सहायक उपचार शुरू हो जाने से इसके गंभीर रूप लेने और मस्तिष्क से संबंधित विकारों के खतरे को कम किया जा सकता है।
चंदीपुरा वायरस का इलाज और बचाव के उपाय
चंदीपुरा वायरस का कोई विशेष इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और मरीज को सपोर्ट देने पर केंद्रित होता है। इस वायरस से मृत्यु दर काफी अधिक होती है, खासकर बच्चों में। मानसून के मौसम में मच्छरों के प्रजनन के कारण यह वायरस तेजी से फैल सकता है।
बचाव के उपाय
–कीड़ों से बचाव: मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, शरीर को ढककर रखें और कीटनाशक का प्रयोग करें।
–स्वच्छता: अपने आसपास के क्षेत्र को साफ रखें और पानी जमा न होने दें।
–सुरक्षित पानी पिएं: हमेशा साफ और उबला हुआ पानी पिएं।
–स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाएं: अगर आपको बुखार या अन्य कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
Chandipura Virus: Expert Dr. Tarun Anand से समझिये, कैसे इस संक्रमण से बचा जाए