गोभी मंच्यूरियन और कॉटन कैंडी में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था। करीब एक महीने बाद कर्नाटका सरकार ने सोमवार को जारी आदेश में चिकन कबाब और मछली में भी ऐसे रंगों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।
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बताया जा रहा है कि कबाब आदि बनाने में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल को लेकर मिली शिकायतों के बाद खाद्य एवं सुरक्षा विभाग ने कबाबों को जांच के लिए भेजा था। राज्य प्रयोगशालाओं ने राज्य के विभिन्न स्थानों से 39 चिकन कबाब के नमूने लिए थे। जांच में पता चला कि इनमें से 8 नमूने आर्टिफिशियल कलर, विशेष रूप से सनसेट यलो और कारमोइसिन की उपस्थिति के कारण असुरक्षित थे।
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इन चीजों में भी नहीं यूज होगा आर्टिफिशियल कलर
सरकार के आदेश में शाकाहारी, चिकन, मछली और किसी भी अन्य कबाब (वेजिटेरियन, चिकन, फिश और दूसरे कवाब) की तैयारी में किसी भी आर्टिफिशियल कलर पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है।
इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता अधिनियम-2006 के नियम 59 के तहत 7 साल से लेकर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए तक के जुर्माने सहित गंभीर दंड हो सकता है।
स्वास्थ्य पर होता है गंभीर असर
दरअसल, कबाब का स्वाद बढ़ाने के लिए कई तरह के पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अनुसार गोभी मंचूरियन में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर जो प्रतिबंध है, वही नियम कबाब पर भी लागू होते हैं।