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अब किसी भी उम्र में बन सकते हैं Parents, लैब में आसानी से बन जाएंगे एग्स और स्पर्म!

माता-पिता बनना हर किसी की चाहत होती है। मगर, कई कारणों की वजह से कई महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं। एक बच्चे के जन्‍म के लिए महिला और पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम की जरूरत पड़ती है। जैसा कि आपको पता है कि जब एक पुरुष का स्पर्म महिला के एग्स के साथ मिलता है तो भ्रूण बनता है। मगर, आजकल की खराब लाइफस्टाइल और खानपान का सीधा असर पुरुष और महिला की फर्लिटी पर पड़ता है। ब्रिटेन की ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रायोलॉजी अथॉरिटी (HFEA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब लैब में आसानी से एग्स और स्पर्म बनाने की टेक्नोलॉजी बनाई जा रही है। इसके जरिए आने वाले 10 साल में लैब में आसानी से स्पर्म और एग्स बनाकर बच्चे पैदा किए जाएंगे।

क्‍या है इन-विट्रो गेमेट्स (IVGs)?

ब्रिटिश वेबसाइट द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, लैब में अंडे और स्पर्म दोनों को आसानी से बनाया जाएगा, जिसे इन-विट्रो गेमेट्स (IVGs) कहा जा रहा है। इसमें स्किन और स्टेम सेल्स के जरिए अंडे और स्पर्म के जरिए एग्स बनवाएं जाएंगे। यह आने वाले 10 साल में पूरी तरह विकसित होगी। इसमें किसी भी उम्र में कपल्स माता-पिता का सुख भोग सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी के जरिए सिंगल लोग और समलैंगिक कपल्स माता-पिता बन सकते हैं। यह दुनिया में एक खास बदलाव कर सकती है।

लैब में बन सकते हैं भ्रूण

पुरुषों और महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ फर्टिलिटी की परेशानी होती है। एग्स और स्पर्म की कमी होने लगती है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का इलाज मिल सकता है। इससे सोलो पेरेंटिंग और मल्टीप्लेक्स पेरेंटिंग जैसी रास्ता खोल सकता है। सोलो पेरेंटिंग का मतलब है कि एक व्यक्ति अपने ही एग्स और स्पर्म से बच्चा पैदा कर सकेंगे।मल्टीप्लेक्स पेरेंटिंग में अक्सर दो कपल्स मिलकर दो भ्रूण बनाते हैं। फिर इन भ्रूणों से अंडे और स्पर्म लैब में तैयार किए जाएंगे, जिससे इससे एक और नया भ्रूण बनाया जा सके। इससे जेनेटिक बीमारी होने का खतरा कम रहता है। हालांकि, इसके जरिए लैब में काफी संख्या में भ्रूम बनने की आशंका है। मगर, इसके साथ जोखिम का भी खतरा है जैसे प्रेग्नेंसी के दौरान जोखिम होता है। इसके कारण बच्चे बुढ़ापे में भी जन्म ले सकते हैं।

HFEA का मानना ​​है कि संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए विचाराधीन तकनीक को लागू करने से पहले कानूनी और नैतिक विनियमन की आवश्यकता है। इसने इस तकनीक पर आगे शोध की सिफारिश की है और स्पष्ट किया है कि इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) वर्तमान में चिकित्सा उपचार के रूप में उपलब्ध नहीं है। हालांकि, यह तकनीक भविष्य में प्रजनन उपचार का एक नियमित हिस्सा बन सकती है। इस प्रगति के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता होगी, एक निर्णय जो ब्रिटिश संसद के पास है।

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