Obesity: मोटापे से हैं परेशान? क्या इसकी वजह हो सकती है खान-पान?

Obesity In India: मोटापा वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है। आमतौर पर पहले के समय में लोग इसे शरीर का बनावट खराब करने वाली स्थिति मानकर अनदेखा कर दिया करते थे, हालांकि समय के साथ लोगों ने समझ लिया है कि ये सिर्फ लुक बिगाड़ने वाली दिक्कत से बढ़कर सेहत के लिए भी बड़ी गंभीर स्थिति है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 1990 के बाद से दुनियाभर में वयस्कों में मोटापा दोगुना और किशोरों में चार गुना बढ़ गया है। 2022 में 2.5 अरब वयस्क (18 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के) अधिक वजन वाले थे, इनमें से 89 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त थे। अकेले भारत की ही बात करें तो यहां मोटापे की दर हर साल तेजी से बढ़ रही है।
पहले मोटापा केवल शहरी जीवनशैली से जुड़ा माना जाता था लेकिन… | Obesity In India
भारत में 1990 और 2022 के बीच, मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों (5-19 वर्ष की आयु) का प्रतिशत चार गुना बढ़कर 2% से 8% हो गया। इसी अवधि के दौरान, मोटापे से ग्रस्त वयस्कों (18 वर्ष और उससे अधिक आयु) का अनुपात दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 7% से 16% हो गया। पहले मोटापा केवल शहरी जीवनशैली से जुड़ा माना जाता था, लेकिन अब यह छोटे कस्बों और गांवों तक भी फैल चुका है। बदलती खान-पान की आदतें, जंक फूड्स और मीठे पेय पदार्थों का अधिक सेवन, कम होती शारीरिक गतिविधि और तनावपूर्ण जीवन इसके मुख्य कारण माने जाते हैं। लेकिन मोटापा केवल हमारी आदतों की देन नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे हार्मोनल कारण भी छिपे हो सकते हैं।
बढ़ता मोटापा और इसका कारण | Obesity In India
अब सवाल ये है कि फिर कैसे पता लगाया जाए कि आपका मोटापा खान-पान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी से संबंधित है या फिर हार्मोन्स की वजह से? क्यों आपका वजन तेजी से बढ़ता जा रहा है? आइए विस्तार से समझते हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि हमारे शरीर में इंसुलिन, लेप्टिन-घ्रेलिन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन्स वजन को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन हार्मोन्स में होने वाले असंतुलन के कारण भी आपको मोटापे की समस्या हो सकती है। भारत में मोटापे का बढ़ना केवल जीवनशैली और खान-पान का नतीजा नहीं है, बल्कि कई मामलों में ये हार्मोनस असंतुलन का कारण हो सकता है।
मोटापा बढ़ाने वाले हार्मोनल कारण | Obesity In India
जिन लोगों के परिवार में माता-पिता या किसी अन्य में मोटापे की समस्या है उन्हें इसका खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा कुछ प्रकार के हार्मोन्स की भी इसमें भूमिका होती है। उदाहरण के लिए, इंसुलिन हार्मोन का असंतुलन न केवल ब्लड शुगर को प्रभावित करता है, बल्कि फैट स्टोरेज को भी बढ़ाता है। वहीं लेप्टिन जिसे भोजन की संतुष्टि वाला हार्मोन कहा जाता है, अगर ठीक से काम न करे तो व्यक्ति को भूख लगना बंद नहीं होती। इसी तरह घ्रेलिन जिसे हंगर हार्मोन कहते हैं, अगर ये ज्यादा सक्रिय हो जाए तो लगातार खाने की इच्छा बनी रहती है। इन स्थितियों में आपका वजन तेजी से बढ़ता है। इसी तरह जो लोग अक्सर तनाव में रहते हैं उनमें कॉर्टिसोल हार्मोन के कारण भी पेट और कमर के आसपास फैट जमा होने लगता है।
नहीं घट रहा वजन तो लें डॉक्टरी मदद | Obesity In India
भारत में मोटापे का बढ़ना केवल जीवनशैली और खान-पान का नतीजा नहीं है, बल्कि यह एक हार्मोनल असंतेलन और बदलते मेटाबॉलिज्म का भी परिणाम हो सकता है। अगर डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार के बाद भी आपको वेट कंट्रोल नहीं हो रहा है तो इस बारे में किसी डॉक्टर से जरूर मिलें। डॉक्टर आपकी फैमिली हिस्ट्री, जीवनशैली और कुछ टेस्ट के माध्यम से कारणों को समझने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी का मोटापा कॉर्टिसोल हार्मोन की वजह से है तो सिर्फ खान-पान में बदलाव से ये कम नहीं हो सकता, इसके लिए स्ट्रेस को कंट्रोल करने वाले उपाय और दवाएं भी जरूरी हैं। सबसे बड़ी जरूरत यह है कि हम मोटापे को केवल बाहरी लक्षण न देखें, बल्कि इसके पीछे छिपे हार्मोनल और शारीरिक कारणों को भी पहचानें। जागरूकता, सही जांच, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय पर मेडिकल सलाह से ही इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित किया जा सकता है।