स्वास्थ्य और बीमारियां

Periodontitis बीमारी होने पर दिखाई देते हैं ये संकेत, इलाज का जानें बेहतर तरीका

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितना जरूरी फिजिकल और मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना है, उतना ही जरूरी ओरल हेल्थ का ध्यान रखना भी है। अक्सर हम अपने शरीर का ध्यान रखते हैं, लेकिन ओरल हेल्थ को नजरअंदाज कर देते हैं। गलत खानपान, खराब जीवनशैली और ओरल हाइजीन के कारण दांतों और मसूड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होने लगती हैं।

पेरियोडोंटाइटिस या पेरियोडोंटल रोग मसूड़ों से संबंधित एक गंभीर संक्रमण है, जो दांतों के आसपास नरम ऊतकों और हड्डी को नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी में ब्रश करते समय दांतों से खून आने लगता है। समय रहते उपचार न किए जाने पर यह दांतों को सहारा देने वाली हड्डी को नष्ट कर देता है। डॉ. अंतरा देबनाथ (BDS) ने पेरियोडोंटाइटिस के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया है।

पेरियोडोंटाइटिस का कारण

पेरियोडोंटाइटिस का अर्थ ‘दांत के चारों तरफ सूजन होना’ है। यह बीमारी मुख्य रूप से खराब ओरल हाइजीन के कारण होती है। इस बीमारी में बैक्टीरिया या प्लाक दांत की सतह और आसपास के हिस्से में चिपक जाते हैं और दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस स्थिति में दांतों में सूजन हो जाती है और मसूड़ों से खून भी आ सकता है।

पेरियोडोंटाइटिस के जोखिम कारक

जोखिम कारक वो होते हैं, जो किसी बीमारी या स्थिति के होने की संभावना को बढ़ा देता है। पेरियोडोंटाइटिस के जोखिम कारकों में शामिल हैं –

  • धूम्रपान या अन्य तम्बाकू का सेवन
  • खराब ओरल हाइजीन
  • डायबिटीज
  • ऑटोइम्यून बीमारियां, जिनमें ल्यूपस, स्क्लेरोडर्मा और क्रोहन रोग शामिल हैं।
  • हार्मोनल परिवर्तन, विशेष रूप से प्यूबर्टी, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान।
  • तनाव
  • जेनेटिक
  • एस्‍ट्रॉयड दवाओं का सेवन

पेरियोडोंटाइटिस के लक्षण

  • मसूड़ों का रंग लाल या बैंगनी होना
  • मसूड़ों और दांतों से खून आना
  • दांत लंबे दिखना
  • दांतों के बीच गैप दिखाई देना
  • दांतों और मसूड़ों के बीच पस होना
  • मुंह और सांसों से बदबू आना
  • चबाने पर दर्द होना

पेरियोडोंटाइटिस का इलाज

पेरियोडोंटाइटिस के इलाज का मुख्य उद्देश्य दांतों के आसपास बैक्टीरिया को साफ करना और मसूड़े में फैले संक्रमण को दूर करना है। जिन लोगों में पेरियोडोंटाइटिस की शुरुआत हुई है, वे नियमित दांतों की सफाई और बेहतर डेंटल हाइजीन से संक्रमण को रोक सकते हैं। इसके लिए रोजाना दिन में कम से कम दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट से दांतों को ब्रश करना और दिन में एक बार फ्लॉस करना जरूरी है।

स्केलिंग और रूट प्लानिंग
दांतों पर जमा प्लाक को हटाने के लिए समय-समय पर डेंटिस्ट के पास जाकर दांतों की सफाई और स्केलिंग कराएं। दांतों पर मौजूद खुरदुरे डब्बों को चिकना करने के लिए रूट प्लानिंग की जाती है। कुछ मामलों में मसूड़े से टार्टर को हटाने के लिए एक लेजर भीम का उपयोग किया जा सकता है, जो मसूड़े की सूजन, रक्तस्राव और अन्य समस्याओं को रोकने में मदद करती है।

एंटीबायोटिक्स
पेरियोडोंटाइटिस संक्रमण से लड़ने में लिए आपका डेंटिस्ट आपको ओरल एंटीबायोटिक्स दे सकता है। इसके लिए क्लोरहेक्सिडिन माउथवॉश, एंटीसेप्टिक चिप और एंटीबायोटिक जेल का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है।

सर्जरी
मध्यम से गंभीर पेरियोडोंटाइटिस के मामलों में सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है। इसमें पॉकेट रिडक्शन सर्जरी, LANAP (लेजर असिस्टेड न्यू अटैचमेंट प्रोसीजर), बोन ग्राफ्टिंग, गम ग्राफ्टिंग, गाइडेड टिश्यू रीजनरेशन (GTR) आदि शामिल हैं।

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