स्वास्थ्य और बीमारियां

Scientists ने खोजा Blindness का Treatment, करोड़ों लोगों के लिए नई उम्मीद

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बीमारी के इलाज का रास्ता खोज निकाला है, जो आँखों की रोशनी छीन लेती है। इस बीमारी का नाम “नियोवस्कुलर एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन” है, ये काफी जटिल नाम है। बस इतना समझिए कि ये एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से उम्र बढ़ने के साथ आँखों में असामान्य रक्त कोशिकाएं बन जाती हैं, जिससे आँखों का वो हिस्सा खराब हो जाता है जो हमें देखने में मदद करता है।

एंटी-VEGF दवा- कुछ लोगों के लिए ही कारगर

अभी तक इस बीमारी का इलाज सिर्फ कुछ ही लोगों पर कारगर होता था, मगर अब वैज्ञानिकों को पता चल गया है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। साथ ही उन्होंने एक नया इलाज भी ढूंढ लिया है जो एंटीबॉडी पर आधारित है।

आँख के पीछे असामान्य रक्त कोशिकाओं का बढ़ना इस बीमारी की मुख्य वजह होता है। बढ़ती उम्र, मधुमेह, मोटापा और दूसरी बीमारियाँ इसकी वजह बन सकती हैं। ये रक्त कोशिकाएँ आँख के उस भाग को खराब कर देती हैं जहाँ से दिमाग को रोशनी का संकेत मिलता है।

अभी तक इस बीमारी का इलाज करने के लिए एंटी-वीईजीएफ दवा का इस्तेमाल होता है। यह दवा रक्त कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है, मगर यह सिर्फ एक तिहाई लोगों पर ही असर करती है।

एडेनोसिन रिसेप्टर 2ए (Adora2a) : नये इलाज का लक्ष्य

वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका कारण आँखों में रेशेदार कोशिकाएं हैं। ये कोशिकाएं कोलेजन नामक पदार्थ बनाती हैं जो जख्म भरने में मदद करता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में बनने पर यह जख्म ठीक होने के बजाय आँख में जमा हो जाता है और रोशनी कमजोर कर देता है। एंटी-वीईजीएफ दवा इस जमाव को रोक नहीं पाती।

वैज्ञानिकों ने एडेनोसिन रिसेप्टर 2ए (Adora2a) नामक एक प्रोटीन को रोकने की कोशिश की। यह प्रोटीन दिमाग, रोग प्रतिरोधक क्षमता और रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। ज्यादा मात्रा में बनने पर यह रक्त कोशिकाओं को बढ़ा सकता है।

वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग करके पाया कि एडेनोसिन रिसेप्टर 2ए को रोकने से आँखों में जमाव कम हो गया। अब उम्मीद है कि एंटीबॉडी बनाकर इस प्रोटीन को रोका जा सकेगा। यह दवा बीमारी के शुरुआती और आखिरी दोनों चरणों में काम आ सकती है।

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