Vitamin D की कमी से बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, ऐसे करें अपना बचाव

विटामिन डी (Vitamin D) की कमी एक ऐसी समस्या है, जिसे शुरुआत में गंभीरता से नहीं लिया जाता, लेकिन इसका असर शरीर पर धीरे-धीरे गहराता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, विटामिन डी की कमी को नज़रअंदाज करना शरीर के लिए ना सिर्फ नुकसानदायक, बल्कि कई गंभीर बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, विटामिन डी केवल हड्डियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है।
क्या है विटामिन D की भूमिका?
विटामिन D शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को अवशोषित करने में मदद करता है, जो हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है।

विटामिन D की कमी से होने वाली बीमारियां
ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों की कमजोरी- विटामिन D की कमी से शरीर में कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
रिकेट्स (बच्चों में)- बच्चों में यह बीमारी हड्डियों को टेढ़ा-मेढ़ा कर देती है। यह स्थिति विटामिन D की भारी कमी से होती है।
ऑस्टियोमलेशिया (वयस्कों में)- हड्डियों में दर्द और मांसपेशियों की कमजोरी के साथ यह रोग वयस्कों को प्रभावित करता है।
मांसपेशियों में दर्द और थकान- बिना ज्यादा मेहनत के भी थकान महसूस होना और मांसपेशियों में दर्द विटामिन D की कमी का संकेत हो सकता है।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी- विटामिन D की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जिससे बार-बार सर्दी-जुकाम या अन्य संक्रमण हो सकते हैं।
डिप्रेशन और मूड डिसऑर्डर- विटामिन D का संबंध मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। इसकी कमी से मूड स्विंग्स, चिंता और डिप्रेशन हो सकता है।
दिल की बीमारियां- रिसर्च के मुताबिक, विटामिन D की कमी हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकती है।
डायबिटीज का खतरा- कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन D की कमी से टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है।
बाल झड़ना- लगातार बाल झड़ने की एक वजह विटामिन D की कमी भी हो सकती है।
ऑटोइम्यून बीमारियां- विटामिन डी की कमी से मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS), रूमेटाइड आर्थराइटिस आदि का संबंध भी इससे जोड़ा गया है।
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कैसे करें बचाव?
धूप लें- आज अधिकांश लोग खुद को धूप से बचाते हैं, जिससे शरीर प्राकृतिक रूप से विटामिन डी नहीं बना पाता। हर व्यक्ति को हफ्ते में कम से कम 3-4 बार 15-20 मिनट की सुबह की धूप लेनी चाहिए। सुबह 7 से 10 बजे के बीच 20-30 मिनट तक धूप में रहना विटामिन D का प्राकृतिक स्रोत है।
डाइट में सुधार- अंडा, मछली, दूध, दही, चीज, मशरूम जैसे खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करें।
सप्लीमेंट्स- यदि डॉक्टरी जांच में कमी पाई जाए तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन D सप्लीमेंट्स लिया जा सकता है। साथ ही विटामिन डी की नियमित जांच करानी चाहिए, खासतौर से उन लोगों को जो ऑफिस या घर में ही अधिक समय बिताते हैं। समय रहते इसकी पूर्ति कर ली जाए तो कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।