Seasonal fever and Flu Symptoms and Precautions: फरवरी की शुरुआत होते ही ज्यादातर राज्यों में मौसम तेजी से बदलने लगा है। दिन में तेज धूप और सुबह-शाम हल्की सर्दी वाला ये मौसम आपकी सेहत के लिए दिक्कतें बढ़ा सकता है। अस्पतालों से मिल रही जानकारियों के मुताबिक मौसम में हो रहे बदलाव के साथ सीजनल फ्लू और इससे संबंधित बीमारियों के मामले में भी वृद्धि देखी जा रही है। बड़ी संख्या में लोग सर्दी-जुकाम, बुखार और गले में खराश की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं, मौसम बदलते ही लोगों के बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण इन्फ्लूएंजा संक्रमण को माना जा रहा है।
इन्फ्लूएंजा के वायरस अनुकूल मौसम में तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं जिसके कारण बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी संक्रमित हो सकता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिर और शरीर में दर्द, खांसी, बंद नाक या नाक बहने के साथ थकान और कमजोरी की समस्या हो सकती है। आमतौर पर इन्फ्लूएंजा का संक्रमण कुछ दिनों में खुद से या फिर हल्के उपचार के माध्यम से ठीक हो जाता है, पर अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या या गर्भवती महिलाओं में इसके कारण स्वास्थ्य जटिलताओं के बढ़ने का खतरा हो सकता है। फ्लू संक्रमण से बचाव को लेकर सभी लोगो को निरंतर सावधानी बरतते रहना चाहिए।
वायरल संक्रमण से खुद को बचाना जरूरी| Seasonal fever and Flu Symptoms and Precautions
डॉक्टर कहते हैं, मौसमी बुखार या सीजनल फ्लू एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो मौसम बदलने पर अधिक देखने को मिलती है। यह एक वायरल संक्रमण है जो विशेष रूप से बारिश, सर्दी तथा वसंत ऋतु में फैलता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कुपोषण के शिकार या फिर जिन लोगों को पहले से कोई गंभीर बीमारी हो उन लोगों में इस प्रकार के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क या छींकने और खांसने से निकलनी वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से भी आप इस संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। मौसमी बुखार के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। ये आपको किस तरह से बीमार कर सकता है ये व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है।

कैसे जाने कहीं आप भी तो नहीं हो गए हैं शिकार? | Seasonal fever and Flu Symptoms and Precautions
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मौसम बदलने पर फ्लू के लक्षणों को लेकर सभी को गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
- बुखार की समस्या (हल्के से लेकर तेज बुखार)
- सिरदर्द और बदन दर्द
- गले में खराश और दर्द की दिक्कत।
- नाक बंद होना या बहना (सर्दी-जुकाम)
- खांसी (सूखी या बलगम वाली)
- शरीर में कमजोरी और थकान
- सांस लेने में कठिनाई (गंभीर मामलों में)
- यदि बुखार 102°F से अधिक हो, सांस लेने में परेशानी हो या लक्षण 7-10 दिनों से अधिक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

इन लोगों में गंभीर समस्याओं का भी हो सकता है खतरा | Seasonal fever and Flu Symptoms and Precautions
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो सीजनल फ्लू आम कुछ सामान्य उपायों और दवाओं से आसानी से ठीक हो जाता है, हालांकि कुछ लोगों में ये गंभीर बीमारियों को बढ़ाने वाली समस्या भी हो सकती है। जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) या फिर श्वसन समस्या रही हो ऐसे लोगों में फ्लू का संक्रमण भी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है।
- किडनी, लिवर, न्यूरोलॉजिकल विकार या फिर हृदय या रक्त वाहिकाओं की बीमारी वाले लोगों में भी फ्लू संक्रमण दिक्कतों को बढ़ाने वाला हो सकता है।
- जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है जैसे एचआईवी/एड्स, कैंसर, डायबिटीज के शिकार हैं उनमें भीगंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं।
- सिकल सेल रोग जैसे रक्त विकार से पीड़ित लोगों में भी दिक्कतें हो सकती हैं।
- 5 वर्ष से कम या 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
- गर्भवती या मोटापे का शिकार हैं।

फ्लू के संक्रमण से बचाव के लिए क्या उपाय करने चाहिए? | Seasonal fever and Flu Symptoms and Precautions
- मौसमी बुखार से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक है।
- स्वास्थ्यवर्धक आहार और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उपाय करें।
- विटामिन सी और डी से भरपूर आहार (नींबू, संतरा, आंवला, मशरूम) का सेवन करें।
- प्रोटीन युक्त आहार (दूध, दही, अंडा, मूंगफली, दालें) का सेवन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है।
- हर्बल टी और काढ़ा (अदरक, तुलसी, हल्दी, काली मिर्च) से फ्लू के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
- खूब पानी पिएं (8-10 गिलास प्रतिदिन)। हाइड्रेशन बनाए रखने से सेहत में सुधार होता है।
- हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
- आंख, नाक और मुंह को बार-बार न छुएं और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें।
- हल्के बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल लें। अगर लक्षण बने रहते हैं और 3-4 दिनों में भी आराम न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें।