झारखंड की राजधानी रांची के आसपास जंगलों में कई तरह की ऐसी साग-सब्जी मिलती है, जो किसी औषधि से कम नहीं. लेकिन इनकी पहचान खासकर आदिवासी ही कर पाते हैं।
आदिवासी महिलाएं जंगलों से चुनकर लाती हैं और अपने घरों में सब्जी व चटनी के रूप में इस्तेमाल करती हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही साग के बारे में बताने वाले हैं, जो जंगलों में तो मिलता ही है. वहीं आदिवासी महिलाएं इसे अपने घर में भी उगाती हैं. इसका नाम फुटकल साग है।
रांची के दिवाली मेला में स्टॉल लगाने वाली रंजना तिवारी ने बताया कि हम खास फुटकल साग लेकर आए हैं और फुटकल सांग झारखंड के साथ-साथ खासकर रांची के आसपास के जंगलों में काफी पाया जाता है। इसके अलावा महिलाएं अपने घरों में भी इसे उगाती हैं. यह पेट के लिए बहुत फायदेमंद है. पेट की कोई भी समस्या हो और अगर इसे चटनी बनाकर खा लिया जाए, तो समस्या तुरंत छूमंतर हो जाती है।
कब्ज से लेकर एसिडिटी में लाभदायक
रंजना बताती हैं कि फुटकल साग से आप अपने पुराने से पुराने कब्ज और एसिडिटी को ठीक कर सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर आपके पेट में दर्द है या कई दिनों से पेट साफ नहीं हुआ है तो आप इसे चावल के माड़ के साथ मिलकर सूप बनाकर पी सकते हैं. आपको तुरंत इसका रिजल्ट दिखेगा. आगे बताया इसे आलू की सब्जी के साथ मिलाकर खाया जाता है. इसकी सब्जी भी बहुत स्वादिष्ट लगती है व चटनी थोड़ी खट्टी-मीठी जो खाने में बहुत चटपटा लगती है. इसे आमतौर पर हम घर पर चावल दाल या रोटी के साथ खाना पसंद करते हैं. सेहत के साथ-साथ आपको एक चटपटा फ्लेवर भी मिलेगा. बताया कि फुटकल साग सिर्फ ठंड के समय ही मिलता है।
होते हैं कई गुण
केरला आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के डॉ. ने बताया कि फुटकल साग यहां का पारंपरिक खाना है. यह जंगल या फिर महिलाओं द्वारा घरों में ही उगाया जाता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसके अलावा, विटामिन ए, बी व सी का यह अच्छा स्रोत है. फाइबर अधिक होने के कारण यह पेट की समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें विटामिन बी12 भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर को ताकत देता है. इसके सेवन से आपका इम्यूनिटी सिस्टम भी मजबूत होता है. विटामिन ए से आंखों की रोशनी अच्छी होती है. इस साग को खाना कई मायनों में फायदेमंद है।