स्वास्थ्य और बीमारियां

Viral समझकर Dengue को न करें नजरअंदाज, ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत करें इलाज

डेंगू और वायरल बुखार बीमारियां भारत में आम हो गई हैं। वायरल बुखार तो पूरे साल किसी भी मौसम में हो सकता है। वहीं, डेंगू का बुखार खासकर मानसून (जून से सितंबर) में ज्यादा होता है, लेकिन बारिश, तापमान और मच्छर पनपने का माहौल साल भर में कभी भी इसे बना सकता है।

डेंगू और वायरल का फर्क

इन दोनों में फर्क बताना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि शुरुआत में दोनों के लक्षण मिलते-जुलते हैं। दोनों में तेज बुखार (102°F या 38.9°C से ज्यादा), सिरदर्द, बदन दर्द, थकान, मतली, खांसी और गले में खराश हो सकती है। लेकिन, डेंगू के गंभीर मामलों में ये लक्षण बढ़ सकते हैं या कुछ खास निशान भी दिख सकते हैं जो डेंगू की ओर इशारा करते हैं।

डेंगू के लक्षण

बेंगलुरु के मदरहुड हॉस्पिटल के पीडियाट्रिशियन और नियोनेटोलॉजिस्ट, सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संतोष कुमार बताते हैं, ‘डेंगू में जोड़ों और मांसपेशियों में बहुत तेज दर्द होता है, इसलिए इसे अक्सर ब्रेकबोन बुखार भी कहते हैं। आंखों के पीछे दर्द, हल्का खून बहना जैसे नाक से या मसूड़ों से खून आना, शरीर पर आसानी से चोट के निशान पड़ना, लाल चकत्ते या छोटे-छोटे लाल धब्बे होना शामिल हैं।’

डेंगू का पता आसानी से खून की जांच से चल सकता है। इस जांच से यह भी पता चल सकता है कि खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम तो नहीं हुई है।

डेंगू होने पर क्या करें?

डेंगू खासकर बच्चों के लिए गंभीर बीमारी हो सकती है इसलिए, इसका इलाज अलग तरीके से करना होता है।

डॉक्टर के पास जाएं
डेंगू के गंभीर मामलों में तुरंत डॉक्टरी सलाह लें, खासकर बच्चों के लिए। शुरुआती जांच से इलाज सही तरीके से किया जा सकता है और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। अगर मामला गंभीर है, तो डॉक्टर अस्पताल में रहने की सलाह दे सकते हैं।

लक्षणों पर नजर रखें
बुखार कितना है, उल्टी या दस्त हो रही है या नहीं, शरीर में पानी की कमी तो नहीं हो रही – इन सब बातों का ध्यान रखें। ऐसे लक्षण बीमारी को पहचानने में डॉक्टर की मदद कर सकते हैं।

तरल पदार्थ लें
शरीर में पानी की कमी न हो, इसलिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें। पानी, इलेक्ट्रोलाइट घोल, ORS घोल, नारियल पानी या फल का पतला रस दिया जा सकता है। बुखार शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता है, इसलिए इसका ध्यान रखें।

मच्छरों से बचाव और पौष्टिक आहार
डेंगू मच्छरों से फैलता है, इसलिए मच्छरदानी, कॉइल या रिपेलेंट का इस्तेमाल करें ताकि मच्छर न काटें। साथ ही जल्दी ठीक होने के लिए पौष्टिक आहार दें। दाल, सूप, फल, सब्जियां और अनाज का सेवन कराएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button