ऑटिज्म (Autism) एक ऐसी स्थिति है, जो सोशल कॉन्टैक्ट और बिहेवियर को प्रभावित करती है और ये पर्सन टू पर्सन में अलग होती है। एएसडी (ASD) वाले कुछ लोगों में हल्के लक्षण हो सकते हैं, जबकि अन्य को ज्यादा गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, यूएस (US) में करीब हर 36 बच्चों में से 1 को ASD का निदान किया जाता है।इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ASD से पीड़ित व्यक्तियों से स्किन सेल्स लेकर शुरुआत की। फिर उन्होंने इन सेल्स को स्टेम सेल की तरह बनने के लिए री प्रोग्राम किया, जो बेसिक सेल्स हैं, जो ब्रेन सेल्स सहित शरीर में किसी भी प्रकार की कोशिका में विकसित हो सकती हैं।
इस एप्रोच का इस्तेमाल करके उन्होंने लैब में मिनिएचर ब्रेन मॉडल बनाए।यह समझने के लिए कि ये छोटे मस्तिष्क कैसे विकसित होते हैं, टीम ने सिंगल-सेल आरएनए सीक्वेंसिंग नाम की तकनीक का उपयोग किया। इससे उन्हें प्रत्येक व्यक्तिगत मस्तिष्क कोशिका में जीन एक्टिविटी का अध्ययन करने की अनुमति मिली। 664,000 से अधिक सेल्स की जांच करके, उन्होंने कुछ जीनों में परिवर्तन पाया जो ब्रेन डेवलपमेंट के शुरुआती चरणों के दौरान ब्रेन फॉरमेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बच्चों में ऑटिज्म को लेकर अध्ययन
अपने पहले के स्टडी में, टीम ने ऑटिज्म से पीड़ित और बिना ऑटिज्म वाले लोगों से बनाए गए ऑर्गेनोइड्स के बीच महत्वपूर्ण मॉलिक्युलर अंतर की खोज की। उन्होंने जिन इम्पोर्टेंट जीनों की पहचान की उनमें से एक को FOXG1 कहा जाता है, जो ASD के विकास में भूमिका निभाता है। रिसर्च टीम ने ब्रेन के आकार और ऑटिज्म के बीच एक संबंध भी देखा मस्तिष्क का यह क्षेत्र सामाजिक व्यवहार और निर्णय लेने जैसे कार्यों से जुड़ा हुआ है। टीम ने पाया कि ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में ब्रेन सेल्स में असंतुलन उनके फोरब्रेन के साइज से जुड़ा हुआ थाम इससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि ऑटिज्म से पीड़ित कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क की संरचना में अंतर क्यों होता है।
क्या होता है ऑटिज्म? (What is Autism?)
ऑटिज्म को मानसिक बीमारी से भी जाना जाता है। इस बीमारी में मस्तिष्क का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद बच्चा या कोई इंसान बाहरी दुनिया से अलग अपनी दुनिया में खोया रहता है, इसलिए कुछ लोग उन्हें मंदबुद्धि भी समझने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह सिर्फ एक मिथक है। ऑटिज्म से ग्रस्त लोग मंदबुद्धि नहीं होते हैं। ये बात जरूर है कि समाज से घुलने-मिलने में उनमें झिझक होती है।
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ऑटिज्म के लक्षण (Autism Symptoms)
ऑटिज्म का शिकार कोई बच्चा मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर होता है।
ऑटिज्म की बीमारी होने पर मिर्गी की समस्या भी हो सकती है।
कई मामलों में बच्चों को बोलने और सुनने में भी परेशानी होती है।
जब यह बीमारी खतरनाक लेवल पर पहुंच जाती है तब ऑटिस्टिक डिसऑर्डर नाम से जानते हैं।
लक्षण कम प्रभावी होने पर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं।

ऐसे करें बच्चों में ऑटिज्म की पहचान
जब बच्चे का कॉन्फिडेंस कम हो और वह किसी से बात करते समय आई कॉन्टैक्ट न करें। ऐसा करते समय उसे घबराहट हो।
ऐसे बच्चे ज्यादा वक्त अकेला रहना ही पसंद करते हैं, उन्हें किसी के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं होता है।
इस बीमारी की चपेट में आने के बाद बच्चे जब बात करते हैं तो अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
ऐसे बच्चे किसी तरह का संकेत नहीं दे पाते हैं।
एक ही तरह का गेम खेलना पसंद करने वाले बच्चे भी ऑटिज्म की चपेट में हो सकते हैं।
ऑटिज्म पीड़ित किसी बात का जवाब देने में असमर्थ होते हैं। किसी की बात को अनसुना भी करते हैं।
ऐसे बच्चों के लिए बदलाव को स्वीकार करना आसान नहीं होता है।