बिगड़ती लाइफस्टाइल से कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं महिलाएं, ऐसे करें बचाव

आजकल के समय में एडवांस तकनीक और हर तरह की सुख-सुविधा ने हमारे जीवन को आसान तो बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही एक गंभीर समस्या भी सामने आई है- स्थिर जीवनशैली (Sedentary Lifestyle). विशेषकर महिलाओं में यह जीवनशैली उनकी ऊर्जा, और स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित कर रही है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल की वजह से आजकल कम उम्र में ही महिलाएं कई बीमारियों की चपेट में आने लगी हैं। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि सेडेंटरी लाइफस्टाइल महिलाओं की सेहत पर कितना बुरा प्रभाव डाल रही है?
सेडेंटरी लाइफस्टाइल से होने वाली परेशानियां
हार्मोनल असंतुलन और पीरियड संबंधी समस्याएं
निष्क्रिय जीवनशैली से शरीर में चयापचय धीमा हो जाता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है। इससे अनियमित पीरियड्स, पीसीओएस (PCOS), थाइरॉइड संबंधी दिक्कतें और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

थकान और ऊर्जा की कमी
लगातार बैठे रहने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। इससे ऑक्सीजन की आपूर्ति अंगों तक कम पहुंचती है, जिससे थकावट, सुस्ती और दिनभर आलस्य महसूस होता है। महिलाओं को घर और काम दोनों संभालने होते हैं, ऐसे में कम ऊर्जा उनकी कार्यक्षमता को घटा देती है।
मोटापा और मेटाबोलिक डिज़ॉर्डर का खतरा
जब शरीर की कैलोरी खपत कम होती है तो वजन बढ़ने लगता है। इससे पेट की चर्बी, कमर के आसपास फैट, और मधुमेह, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो महिलाओं की दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ बन सकती हैं।
हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी
लगातार बैठने से हड्डियों की घनता घटती है और मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं। महिलाओं में उम्र के साथ ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) की संभावना बढ़ जाती है। बिना शारीरिक गतिविधि के यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर
स्थिर जीवनशैली अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (anxiety), और आत्मविश्वास में कमी का कारण बन सकती है। शारीरिक गतिविधि न केवल शरीर को, बल्कि दिमाग को भी सक्रिय करती है और सकारात्मक हार्मोन्स को बढ़ावा देती है।
नींद में आने लगती है कमी
फिजिकल एक्टिविटी की कमी से स्लीप हार्मोन (melatonin) की मात्रा घटती है, जिससे नींद में बाधा आती है। नींद की कमी से हार्मोनल गड़बड़ी और थकान और भी बढ़ जाती है।
प्रजनन क्षमता में कमी
जो महिलाएं लंबे समय तक निष्क्रिय रहती हैं, उनमें फर्टिलिटी से जुड़े हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ सकता है। यह गर्भधारण में कठिनाई का कारण बन सकता है।
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कैसे रखें खुद को हेल्दी?
महिलाओं की ऊर्जा, आत्मबल और कार्यक्षमता उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। इसलिए, सक्रिय जीवनशैली अपनाकर न केवल बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता भी लाई जा सकती है।
रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या योगा करें।
लंबे समय तक बैठने से बचें, हर 1 घंटे में 5 मिनट टहलें।
कार्यस्थल पर स्ट्रेचिंग या डेस्क एक्सरसाइज़ अपनाएं।
डांस, घरेलू काम, सीढ़ियों का उपयोग जैसी गतिविधियों से भी शरीर को सक्रिय रखें।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान, प्राणायाम और गहरी नींद को प्राथमिकता दें।