होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जो मानती है कि शरीर खुद को ठीक कर सकता है। होम्योपैथी दवाओं द्वारा काफी सालों से बीमारियों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन हां कोरोना के बाद से लोग इसके उपचार को और ज्यादा अपना रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि इसमें किसी तरह के साइड इफेक्ट की संभावना कम होती है। दुनियाभर में किसी बीमारी के इलाज के लिए एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी ये चार तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई जाती है। 1700 के अंत में जर्मनी में इस चिकित्सा को विकसित किया गया था, जिसे आज भी कई यूरोपीय देश फॉलो कर रहे हैं।
डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। हर सा्ल इस दिन को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 के लिए थीम है- “होम्योपरिवार: एक स्वास्थ्य, एक परिवार” (Homeoparivar: One Health, One Family) रखी गई है।
हाईटेक होती दुनिया में बीमारियों के इलाज के लिए कई नई टेक्नोलॉजी आ गई हैं, मरीजों को एलोपैथी दवाईयां दी जा रही हैं। तब ऐसे समय में भी होम्योपैथी से लोगों का भरोसा कम नहीं हुआ है। अपने 6 मजबूत सिद्धांतों की वजह से यह आज भी साइड इफेक्ट्स फ्री इलाज है। होम्योपैथी के इसी फायदे और सिद्धांतों को बताने के लिए पूरी दुनिया हर साल 10 अप्रैल को वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाती है। आइये आपको होम्योपैथी के सिद्धांतों से रूबरू करवाते हैं, होम्योपैथी के 6 सबसे मजबूत सिद्धांत- सिंगल उपाय, मिनिमम डोज, ओवरऑल हेल्थ पर फोकस, लॉन्ग टर्म रिजल्ट पर काम, साइड इफे्क्ट फ्री और डाइट और मेडिसिन। अब आपको विस्तार से होम्योपैथी के बारे में बताते हैं…
आरोग्य इंडिया की इस कड़ी में आज हमारे साथ हैं प्रो डॉ डीके सोनकर, वे बताते हैं कि आज हम पूरे विश्व में विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में हैनीमैन साहब का जन्मदिन मनाया जा रहा है। ये एक ऐसे महात्मा थे जिन्होंने जनमानस में गरीब, गुरवा सबके लिए इस पद्धति का इलाज निजात किया जिससे इसको सुलभ सस्ती चिकित्सा पद्धति कहा जाता है। इसको हम आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। आज उस महापुरुष का जन्मदिवस है जो पूरे विश्व में होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में दिल्ली में हमारी उच्चतर की संस्थायें सीसीआरएस, एनआईएच और एनसीएच है वो आज विश्व होम्योपैथी दिवस मना रहा है। जिसकी अध्यक्षता मुख्य आदरणीया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर रही हैं। यह हम सभी लोगों के लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू हैं।
प्रो डॉ डीके सोनकर ने होम्योपैथी की उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला, क्या कुछ उन्होंने कहा, आइये आपको दिखाते व सुनाते हैं…
निश्चित तौर पर हैनीमैन साहब ने जो बुक लिखी है या उन्होंने जो पद चिह्न दिया है, अगर हम लोग उन पद चिह्नों पर चलें तो बहुत हद तक बीमारियों का निजात ढूंढ़ सकते हैं। उन्होंने अपने समय में रिसर्च करके जो दवाइयां बनाई या लिखीं, वह आज और आने वाले समय में भी जनमानस के लिए बहुत उपयोगी है। हमें बहुत ज्यादा रिसर्च का निश्चित तौर पर नो डाउट रिसर्च की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन सत्यता ये है कि में हेमन साहब के समय की किताबों में जो लिखा हुआ है, अगर उसे हम अच्छे से पढ़ लें तो बहुत हद तक वर्तमान में और आने वाली बीमारियों का निजात ढूंढ़ लेंगे और बहुत हद तक बीमारियों पर कंट्रोल कर सकेंगे।
कोरोना काल के दौरान जनता का विश्वास होम्योपैथी पर ज्यादा बढ़ा है। इसके पीछे का क्या कारण है, इसको भी जानते हैं..
बातचीत करते हुए प्रो डॉ डीके सोनकर बताते हैं कि हमारी रिसर्च यूनिट या चिकित्सा पद्धति या शिक्षक या स्टूडेंट, उन्होंने बहुत मेहनत से साथ उन दवाओं को पढ़ा और पढ़ने के बाद ऐसी मेडिसिन निकलकर आई जो विश्व स्तर पर प्रचलित हुई। कोरोना के समय उस दवा में बहुत सारे कोरोना के सिम्टम थे जो उस दवा से मिलते थे। वह दवा जितने लोगों को खिलाई गई उसमेंं से कोई ही व्यक्ति ऐसा होगा जो डेथ किया होगा। वरना सारे मरीजों को हम लोगों को बचा लिया।