World Malaria Day: मलेरिया से बचाव के लिए जरूरी है सही जानकारी, न करें ये गलतियां

World Malaria Day 2025: भारत में हर साल मलेरिया के लाखों मामले सामने आते हैं जिससे मानसून के दिनों में (जून-सितंबर) स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव बढ़ जाता है। एनोफिलीज नामक मच्छरों के कारण होने वाली ये बीमारी कुछ स्थितियों में जानलेवा भी हो सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। भारतीय आबादी में भी मलेरिया एक बड़ा खतरा रहा है, जिसके कारण हर साल अस्पतालों में लोगों को भारी भीड़ देखी जाती रही है। मलेरिया के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
डॉक्टर कहते हैं, मलेरिया से बचाव के लिए दो चीजें सबसे जरूरी हैं- सही जानकारी और इसके अनुसार बचाव के उपाय करते रहना। आइए समझते हैं कि आप मलेरिया के खतरों से कैसे सुरक्षित रह सकते हैं? भारत में मलेरिया का संक्रमण मानसून के मौसम में सबसे ज्यादा होता है, आमतौर पर जून से सितंबर तक। बारिश और स्थिर पानी के कारण मलेरिया के मच्छरों के लिए प्रजनन आसान हो जाता है, यही कारण है कि इन दिनों में संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल आता है।
मलेरिया के बारे में जानिए | World Malaria Day 2025
डॉक्टर कहते हैं, वैसे तो मलेरिया का संक्रमण पूरे साल हो सकता है, लेकिन मानसून और इसके बाद के कुछ महीनों में मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। संक्रमित मच्छरों में प्लाज्मोडियम परजीवी होते हैं। जब यह मच्छर काटता है तो परजीवी खून में मिल जाते हैं और लिवर में पहुंचकर पनपने लगते हैं। मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 दिन बाद दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मलेरिया की स्थिति में सभी लोगों को कुछ गलतियों से बचना चाहिए। संक्रमण की समय पर पहचान कर ली जाए तो इसके गंभीर रूप लेने के खतरों को कम किया जा सकता है।

किन लक्षणों से की जा सकती है इसकी पहचान | World Malaria Day 2025
मलेरिया होने पर सबसे पहले ठंड लगती है और कंपकंपी के साथ बुखार आता है। इसके बाद पसीना आकर बुखार उतर जाता है। इसके अन्य लक्षणों में तेज सिर दर्द, हृदय गति का तेज चलना, छाती में दर्द, मतली, उल्टी और दस्त हैं। मरीज को मांसपेशियों में दर्द और अत्यधिक थकान हो सकती है। मलेरिया अगर बढ़ जाए और परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगें तो इससे एनीमिया भी हो सकता है। गंभीर मामलों में कुछ लोगों को त्वचा और आंखों के पीला पड़ने (पीलिया) का खतरा हो सकता है।
मलेरिया के दौरान ये गलतियां न करें |World Malaria Day 2025
मलेरिया एक घातक बीमारी है, जिसका समय पर उपचार प्राप्त करना जरूरी है। घर पर या खुद से ही इसका इलाज न करें। इसके इलाज में हर मरीज के लिए एक सी दवा नहीं होती है इसलिए डॉक्टर की राय जरूरी है। मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने के अलावा मलेरिया संक्रमित मां से अजन्मे बच्चे, संक्रमित का खून चढ़ाने और संक्रमित व्यक्ति को लगाई गई सुई का दोबारा इस्तेमाल करने से फैल सकता है। छोटे बच्चों, शिशुओं, वृद्धों, गैर- मलेरिया क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों और गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक रहता है। इसलिए इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें। यदि मलेरिया बुखार में शरीर का तापमान बढ़ या घट रहा है तो डॉक्टर की सलाह पर रक्त जांच कराएं। तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें। थोड़े-थोड़े अंतराल पर माथे पर ठंडी पट्टियां रखते रहे।
