विशेषज्ञों का कहना है कि भारत नींद की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, जिससे दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। हर साल 15 मार्च को विश्व नींद दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को अच्छी नींद के फायदों के बारे में जागरूक किया जाता है। इस साल का विषय है ‘विश्व स्वास्थ्य के लिए नींद की समानता’।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर रोज कम से कम 7 घंटे की नींद जरूरी है। नींद की कमी से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से शरीर प्रभावित होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में दुनियाभर के देशों में नींद की कमी सबसे ज्यादा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LocalCircles के सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछले 12 महीनों में 61% भारतीयों को रात में 6 घंटे से भी कम की नींद आई। नींद से वंचित भारतीयों की संख्या पिछले दो सालों में लगातार बढ़ रही है। 2022 में ये आंकड़ा 50% और 2023 में 55% था।
ऑनलाइन रहने की आदत और तनाव
चेन्नई के अपोलो स्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रभाश प्रभाकरन का कहना है कि भारत नींद की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। हमारी हमेशा ऑनलाइन रहने की आदत और तनाव इसे और बढ़ा देते हैं। दुनियाभर में नींद की कमी (Lack of sleep) सबसे ज्यादा भारत में है। हमें नींद के महत्व को समझना होगा। अच्छी नींद से न केवल मानसिक और शारीरिक स्वस्थ्य अच्छा रहता है बल्कि गैर-संक्रामक रोगों से भी बचा जा सकता है।
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नींद की कमी से मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल
फरीदाबाद के मैरेंगो एशिया हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ गजेंद्र कुमार गोयल का कहना है कि नींद की कमी से दिल की सेहत पर असर पड़ता है। इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ जाता है।
डॉ गजेंद्र बताते हैं कि आम तौर पर रात में ब्लड प्रेशर 10 से 20% तक कम हो जाता है। लेकिन नींद की कमी में ऐसा नहीं होता, जिससे रात में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। इससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि नींद की कमी से मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल और गलत खानपान की आदत भी पड़ सकती है। डॉक्टर का कहना है कि दिल को स्वस्थ रखने के लिए कम से कम 7 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है।
डिजिटल डिवाइसों के ज्यादा इस्तेमाल
पी. डी. हिंदूजा अस्पताल और एमआरसी, माहिम के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ लैंसलॉट पिंटो का कहना है कि नींद की कमी खराब आदतों और डिजिटल डिवाइसों के ज्यादा इस्तेमाल से भी हो सकती है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। नींद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि एक व्यक्ति के जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में ही बीतता है।
पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सतीश निराले का कहना है कि नींद की कमी से जल्दी डिमेंशिया होने का खतरा भी रहता है। इससे याददाश्त, एकाग्रता, क्रिएटिविटी और समस्या सुलझाने की क्षमता प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इससे मूड स्विंग, घबराहट और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।