स्वस्थ रहने के लिए शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों का सही मात्रा में मौजूद होना जरूरी है। ऐसे कई विटामिन्स और मिनरल्स हैं, जिनकी कमी से आप गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। फॉस्फेट भी ऐसा ही एक जरूरी मिनरल है, जो हड्डियों और दांतों की मजबूती और ऊर्जा के उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में फॉस्फेट का स्तर कम हो जाता है, तो उसे हाइपोफॉस्फेटेमिया कहते हैं। आमतौर पर हाइपोफॉस्फेटेमिया चिंता का कारण नहीं होता, लेकिन अगर गंभीर हाइपोफॉस्फेटेमिया हो जाए, तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। आइए, जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय –
क्या है हाइपोफॉस्फेटेमिया?
रक्त में फॉस्फेट का सामान्य स्तर 2.5 से 4.5 मिलीग्राम/डीएल के बीच होता है। हाइपोफॉस्फेटेमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त में फॉस्फेट का स्तर कम हो जाता है। खून में फॉस्फेट की कमी के कारण व्यक्ति को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हाइपोफॉस्फेटेमिया हल्का या गंभीर हो सकता है। यह अचानक या दीर्घकालिक भी हो सकता है।
हाइपोफॉस्फेटेमिया के लक्षण
हल्के हाइपोफॉस्फेटेमिया वाले अधिकांश लोगों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, स्थिति गंभीर होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं –
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द
- हड्डियों में दर्द
- मांसपेशियों में ऐंठन
- थकान
- सांस लेने में कठिनाई
- एनीमिया
- भ्रम या चिड़चिड़ापन
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
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हाइपोफॉस्फेटेमिया के कारण
हाइपोफॉस्फेटेमिया होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे –
- आहार में फॉस्फेट की कमी
- किडनी द्वारा फॉस्फेट एब्जॉर्ब न कर पाना
- पैराथायराइड ग्लैंड का बढ़ना
- लंबे समय से हार्मोन असंतुलन
- विटामिन-डी की कमी
- लंबे समय तक डाइयूरेटिक दवाओं का सेवन
हाइपोफॉस्फेटेमिया से बचाव कैसे करें
- फॉस्फेट युक्त खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करें जैसे दूध, दही, चीज, फिश, अंडे नट्स, सीड्स, बींस
- विटामिन-डी की कमी से बचने के लिए कुछ देर धूप में बैठें।
- रोजाना कम से कम 30 मिनट कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करें।
- डॉक्टर की सलाह से फॉस्फेट सप्लीमेंट्स और दवाओं का सेवन करें।
- नियमित रूप से फॉस्फेट स्तर की जांच करवाएं।