एक जापानी शोध से पता चला है कि भविष्य में “हार्ट फेलियर महामारी” का खतरा हो सकता है, अगर कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों के दिल में वायरस बना रहे। जापान के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान Riken के वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है और दिल की बिमारी की रोकथाम के लिए उपाय विकसित करने पर जोर दिया है।
कोरोना संक्रमण के बाद युवा और स्वस्थ व्यक्तियों में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। कुछ लोग इसे कोरोना टीका से जोड़ रहे हैं, लेकिन WHO, US CDC और ICMR जैसी वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाएं इसे सिरे से नकारती हैं। उनके अध्ययनों से पता चला है कि बिना टीकाकरण वाले लोगों में कोरोना के कारण दिल संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक होता है और टीके वाले लोग सुरक्षित हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं पर मौजूद ACE2 रिसेप्टर्स से चिपककर संक्रमण फैलाता है। ACE2 रिसेप्टर्स दिल में अन्य अंगों की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। कुछ कोरोना मरीजों में दिल की क्षमता कम होने के मामले सामने आए हैं, लेकिन इसका सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
अमेरिकी विज्ञान पत्रिका iScience में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सबसे पहले स्टेम सेल्स से बनाए गए दिल के ऊतकों का इस्तेमाल किया। जब बड़ी मात्रा में वायरस को इन ऊतकों में संक्रमित किया गया, तो दिल की क्षमता कम हो गई और ठीक नहीं हुई। लेकिन जब 10% कम वायरस का इस्तेमाल किया गया, तो दिल की क्षमता का एक निश्चित स्तर बना रहा, हालांकि संक्रमण चार सप्ताह तक चला।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि संभव है कि कुछ मरीजों में संक्रमण बने रहने के बावजूद हार्ट फेलियर न हो। इसके अलावा, जब दिल के ऊतकों को कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में रखा गया, तो बिना संक्रमण वाले कोशिकाएं कुछ समय बाद ठीक हो गईं, लेकिन थोड़े से वायरस से संक्रमित कोशिकाएं ठीक नहीं हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगता है कि लगातार संक्रमण से उनकी ठीक होने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
Riken के शोध प्रमुख हिदेतोशी मासुमोतो ने कहा, “हो सकता है कि कुछ कोरोना मरीजों के दिलों में वायरस लगातार मौजूद रहे। हमें ‘हार्ट फेलियर महामारी’ की तैयारी के लिए जांच प्रणाली और उपचार के तरीके विकसित करने चाहिए, जिसमें हार्ट फेलियर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।”
यह खोज ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर में कोरोना संक्रमणों में फिर से बढ़ोतरी हो रही है। WHO के अनुसार, पिछले एक महीने में दुनिया भर में नए कोरोना मामलों की संख्या 52% बढ़ गई है। विश्व स्वास्थ्य निकाय ने अस्पताल में भर्ती होने, आईसीयू में जाने और वैश्विक स्तर पर मौतों में भी वृद्धि की सूचना दी है।