दो बच्चों के बीच में जन्मे बच्चे को मिडिल चाइल्ड कहा जाता है। यह सिंड्रोम ऐसे ही बच्चों में होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है। मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे में अक्सर ईर्ष्या की नकारात्मक भावना, खालीपन, अयोग्यता, अपर्यापत्ता जैसी भावना विकसित होती है। ऐसे बच्चों में आत्मसम्मान में कमी देखी जाती है। साथ ही वे बाहरी दुनिया से जल्दी तालमेल नहीं बिठा पाते हैं। बच्चों में अगर इस तरह की भावनाओं को इग्नोर किया गया, तो आगे चलकर बच्चों में मानसिक व्यवहार संबंधी विकार हो सकता है। अधिकतर माता-पिता इस स्थिति पर ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि यह काफी आम होता है।
क्या होता है मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम?
यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जो एक बच्चे के बाद और एक बच्चे से पहले या दो भाई-बहन के बीच हो सकता है। इस स्थिति में बच्चों को काफी ज्यादा अकेलापन महसूस होता है। इसमें बच्चों को काफी नकारात्मक महसूस होता है। बीच के बच्चों को काफी ज्यादा ईर्ष्या और अपर्याप्तता का दर्द महसूस होता है। उनके अंदर आत्मसम्मान की कमी देखी जाती है।
क्या यह बीमारी सभी मिडिल चाइल्ड में होती है?
मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम एक बहस का विषय है। यह सभी मिडिल चाइल्ड चाइल्ड में विकसित नहीं होता है। यह परिवरिश में अंतर की वजह से बच्चों में विकसित हो सकता है। अलग-अलग परिवारों में बच्चों के साथ अलग-अलग व्यवहार किया जाता है।
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मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम के लक्षण?
- बच्चों में आत्मसम्मान की कमी
- बच्चों का व्यवहार असामाजिक होना
- अयोग्य महसूस करना
- अक्सर निराशा महसूस होना
- ध्यान खींचने वाला व्यवहार करना
- मूड स्विंग्स होना
- विश्वास की कमी होना, इत्यादि।
कैसे करें बचाव?
- धैर्य के साथ बच्चों से बात करें, उनके व्यवहार को समझने की कोशिश करें। अगर आपके बच्चे का व्यवहार बदल रहा है, तो उसकी काउंसलिंग कराएं।
- अगर आपका मिडिल चाइल्ड चिड़चिड़ा या फिर अन्य तरह का व्यवहार कर रहा है, तो उसके ऊपर अतिरिक्त ध्यान दें।
- मिडिल चाइल्ड को महत्वपूर्ण महसूस कराएं, इत्यादि।