पिंपल्स यानी मुंहासे आपकी खूबसूरती पर दाग की तरह नजर आते हैं। कई बार तो ये इतने बढ़ जाते हैं कि इनसे आपका आत्मविश्वास ही कम होने लगता है। चिंता की बात ये है कि इनसे निपटना और इनके निशानों से पीछा छुड़ाना दोनों ही मुश्किल है। अगर आप भी पिंपल्स के कारण परेशान हैं तो इनका उपचार लेने के साथ ही एक साधारण सा ब्लड टेस्ट भी जरूर करवाएं।
आमतौर पर पिंपल्स का मुख्य कारण होता हार्मोनल बदलाव या उतार-चढ़ाव। कई बार ज्यादा ऑयली फूड खाने से, स्किन को साफ नहीं रखने के कारण या बैक्टीरिया के कारण भी पिंपल्स की परेशानी बढ़ने लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार कई बार पिंपल्स शरीर के अंदर चल रही गड़बड़ियों के कारण भी होते हैं। इनका पता लगाने के लिए आप कंप्रिहेंसिव मेटाबोलिक पैनल यानी सीएमपी टेस्ट करवा सकते हैं।
क्या है कंप्रिहेंसिव मेटाबोलिक पैनल टेस्ट
कंप्रिहेंसिव मेटाबोलिक पैनल एक प्रकार है ब्लड टेस्ट है। इसके जरिए आप शरीर की विभिन्न बीमारियों का पता लगा सकते हैं, जैसे- इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर, ग्लूकोज लेवल और किडनी की परेशानियां आदि। इस टेस्ट से आप यह पता लगा सकते हैं कि पिंपल्स नॉमर्ल है या कोई इंफेक्शन है। विटामिन और मिनरल्स की कमी का पता भी इस टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है। कई बार विटामिन डी की कमी के कारण भी पिंपल्स होने लगते हैं।
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हार्मोनल बदलाव
वैसे तो पिंपल्स किसी भी उम्र में हो सकते हैं। लेकिन अधिकांश तौर पर ये उस समय होते हैं जब आपके हार्मोन बदलते हैं। इन्हें हार्मोनल एक्ने कहते हैं। अगर आपको पिंपल्स 30 की उम्र के बाद हो रहे हैं तो ये एडल्ट एक्ने या एक्ने टार्डा कहलाते हैं। इस उम्र में पिंपल्स होने का कारण ब्लड टेस्ट के जरिए ही लगाया जा सकता है। कई बार महिलाओं और पुरुषों के हार्मोन्स में बदलाव के कारण, एंड्रोजन बढ़ने से, इंसुलिन रेजिस्टेंस और थायरायड के कारण भी मुहांसे होने लगते हैं। ब्लड टेस्ट से त्वचा विशेषज्ञ इसके मूल कारण का पता लगा सकते हैं। जिससे सटीक इलाज में फायदा मिलता है।
एक्ने वुल्गारिस
आमतौर पर एक्ने वुल्गारिस किशोरावस्था में होते हैं। इसका सीधा मतलब है कि 10 साल की उम्र से 30 साल की उम्र के बीच अगर आपको मुंहासे परेशान कर रहे हैं तो उसका कारण एक्ने वुल्गारिस है। ये युवावस्था के साथ होने वाले बदलावों में से एक है। इसके लिए आपको कोई विशेष उपचार लेने की जरूरत नहीं है। आप चेहरे की साफ सफाई पर पूरा ध्यान देकर भी इन्हें कंट्रोल कर सकते हैं।
विटामिन डी की कमी
शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण भी मुंहासे होने लगते हैं। दरअसल, विटामिन डी त्वचा को बाहरी हानिकारक पदार्थों से बचाता है। लेकिन जब शरीर में इसकी कमी होने लगती है तो त्वचा में सूक्ष्मजीवों के प्रवेश और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मुंहासे हो सकते हैं। इसी के साथ विटामिन डी एंड्रोजन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एंड्रोजन मुंहासों को बढ़ाता है। विटामिन डी की कमी से एंड्रोजन का स्तर बढ़ता है, जिससे त्वचा संबंधी परेशानियां होती हैं।