बार-बार मन में यही सवाल उठना कि क्या मैं अपने गोल्स को अचीव कर पाऊंगी? और क्या मुझ में इतनी क्षमता है? ये सब इस बात का प्रमाण है कि ऐसा व्यक्ति आत्मसंदेह की भावना के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। ऐसे लोगों की तादाद अच्छी खासी है, जो खुद पर और अपनी काबिलियत पर विश्वास नहीं कर पाते। वे दूसरों को योग्य और खुद को अयोग्य मानने लगते हैं। बचपन से जुड़ी घटनाएं, घर का माहौल और सोशल सर्कल किसी व्यक्ति के अस्तित्व पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार की मानसिक समस्या को इम्पोस्टर सिंड्रोम कहा जाता है। आइये जानते हैं इम्पोस्टर सिंड्रोम क्या है और इससे उबरने के टिप्स।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि वे लोग जो अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी योग्यता की जगह भाग्य को देते हैं, वे इम्पोस्टर सिंड्रोम का शिकार होते हैं। ऐसे लोग हर पल सेल्फ डाउट से घिरे रहते हैं। उच्च पदों पर रहने के बावजूद भी ऐसे लोग खुद को योग्य और बुद्धिमान नहीं मानते हैं। इस समस्या से घिरे अधिकतर लोग राशिफल पढ़कर अपने दिन की शुरूआत करने में विश्वास रखते हैं। कई संकेतों से इस प्रकार के लोगों की पहचान की जा सकती है।
कैसे होगी इस तरह के लोगों की पहचान
सेल्फ डाउट में रहना
ऐसे व्यक्ति अपने अचीवमेंट का श्रेय खुद लेने की जगह किसी व्यक्ति, परिस्थिति या भाग्य को देने लगते हैं। उन्हें खुद के इंटेलिजेंस लेवल का ज्ञान नहीं होता है। वे हर पल खुद को दूसरों से कम आंकते रहते हैं। उनके अनुसार दूसरे लोग उनसे बेहतर कार्य करते हैं। अपनी क्षमताओं को लेकर वे असमंजस की स्थिति में रहते हैं।
बर्नआउट का शिकार
अधिकतर लोग जो इम्पोस्टर सिंड्रोम का शिकार होते हैं, उन्हें खुद पर विश्वास नहीं होता है। वे खुद को अचीवर नहीं मानते हैं जिसके चलते वे तनाव और एंग्ज़ाइटी का शिकार हो जाते हैं। इसका प्रभाव उनकी सेल्फग्रोथ पर भी दिखने लगता है।
खुद से अनरियलिस्टिक एक्सपेक्टेंशन संजोना
ऐसे गोल्स और टारगेट्स को सेट करना, जो हकीकत में पूरे नहीं हो सकते हैं, इम्पोस्टर सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्ति का संकेत हैं। ऐसे लोग खुद से कई प्रकार की उम्मीदें लगाने लगते हैं। इससे उनकी फिजिकल, मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर प्रभाव नज़र आने लगता है।
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छोटी कमियों पर बार-बार फोकस करना
अपनी गलतियों को दूर करने की जगह इस प्रकार के लोग बार-बार अपनी कमियों को लेकर खुद को कोसते रहते हैं। वे दूसरों को जीवन में अधिक महत्व देने लगते हैं और सेल्फ लव की भावना से दूर हो जाते हैं। इसके चलते वे अपनी कामयाबी का एंजॉय नहीं कर पाते हैं।
इम्पोस्टर सिंड्रोम को दूर करने के तरीके
कामयाबी का जश्न मनाएं
छोटी-छोटी खुशियां जीवन के लिए बेहद महत्वपूण होती हैं। ऐसे में हर खुशी के पल को एंजॉय करें। हर समय बड़ी कामयाबी की कामना करने की जगह छोटी अचीवमेंट्स का लुत्फ उठाएं और आत्म सराहना व सेल्फ मोटिवेशन बेहद ज़रूरी है।
अपनी गलतियों से सीखें
किसी भी फेलियर से जीवन में निराश हो जाने की जगह उससे सीख लें और जीवन में बदलाव लाएं। इससे किसी भी टारगेट को अचीव करने में मदद मिलती है और व्यक्ति आगे बढ़ने लगता है। दूसरों से अपनी तुलना न करें और खुद पर विश्वास बनाए रखें।
व्यवहार में सकारात्मकता लाएं
बिहेवियरल चेंजेज जीवन में बेहद आवश्यक होते हैं। ऐसे में खुद के प्रति नकारात्मक रवैये का त्याग करके अपनी पंसदीदा गतिविधियों में समय व्यतीत करें और खुद की खूबियों और कैलिबर को पहचानें। इससे व्यक्ति अपनी योग्यता के बारे में जान पाता है और जीवन में उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।
अपनी कमियों को साझा करें
हर व्यक्ति को मन ही मन ऐसा बहुत बार महसूस होता है कि दूसरा व्यक्ति मुझ से बेहतर है। मगर अपनी सोच को खुद तक सीमित रखने की जगह अन्य लोगों से अपने विचारों को साझा करें और अपनी कमियों को पहचानकर उसमें सुधार लेकर आएं।