वैसे तो गर्भवती महिलाओं के लिए हर मौसम चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर में हर रोज नए नए बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में मौसम के अनुकूल खुद को ढाल पाना मुश्किल काम होता है। लेकिन गर्मी का मौसम गर्भवती महिलाओं के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इस दौरान डिहाइड्रेशन की समस्या सबसे अधिक बनी रहती है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी न्यौता मिल सकता है। गर्भवती माताओं के लिए इस दौरान खुद को और अपने बच्चे को स्वस्थ बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
एक गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य और अपने अजन्मे बच्चे के विकास दोनों पर ध्यान देना चाहिए। प्रसवपूर्व देखभाल में आहार और पोषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दौरान उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ खाने चाहिए, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छे हों, क्योंकि हर बढ़ते साल के साथ गर्मी का तापमान भी बढ़ता ही जा रहा है। इस दौरान उन्हें ढेर सारा पानी पीने के अलावा, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों को भी शामिल करना चाहिए, जिसे गर्मी उन्हें अधिक प्रभावित ना कर सके।
तो आखिर गर्मी के मौसम में बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए? एक्सपर्ट के रूप में आरोग्य इंडिया से जानकारी साझा कर रही हैं डॉ रूपम सिंह। आपको बता दें, डॉ रूपम स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जिन्हें पांच साल से अधिक वर्षों का अनुभव है। मरीज के इलाज के दौरान डॉ रूपम की यही प्राथमिकता रहती है कि मरीज को ऐसा बेहतरीन उपचार मुहैया कराया जाए जिससे मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो सके।
बाहरी जूस और सूप से करें परहेज
डॉ रूपम सिंह बताती हैं कि गर्मियों के मौसम में गर्भवती महिलाओं को हाइड्रेशन मेंटेन करान बहुत करना जरूरी होता है। क्योंकि पानी की कमी से इसका असर बच्चे पर पड़ता है। तो गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा ज्यादा पानी पीना चाहिए। नारियल का पानी पीना चाहिए। घर के बने हुए जूस का सेवन करें। छाछ-लस्सी का इस्तेमाल करें। बाहर के जूस और सूप से परहेज करना चाहिए क्योंकि प्रेग्नेंसी में इम्यूनिटी कम होती है और बाहर की चीजों में हाइजीन मेंटेन नहीं होता है। यदि उल्टी की समस्या है तो डॉक्टर की सलाह से मेडिसिन ले सकती हैं। इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं नहीं होता है।
फ़ास्ट फ़ूड का सेवन हानिकारक
प्रेग्नेंसी में फ़ास्ट फ़ूड से बचना चाहिए। इसका मुख्य कारण है कि इम्यूनिटी कमजोर होने पर फूड पॉइजिनिंग ज्यादा होती है। उस वक्त हाइड्रेशन भी मेंटेन रखने की जरूरत होती है और एंटीबायोटिक से भी बचने की जरूरत होती है।
बिना डॉक्टर की सलाह कोई दवा न लें
प्रेग्नेंसी में फीवर के साइड इफेक्ट्स ज्यादा होते हैं इसलिए फीवर होने पर डॉक्टर से कंसल्ट जरूरी करना चाहिए। अगर हल्का फीवर है तो वो नार्मल है। ऐसे में पैरासिटीमोल न लें। अगर बिना डॉक्टर से कंसल्ट किये आप ऐसा करते हैं तो इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है।