आज के समय में लोगों को कई बीमारियां तो कॉमन हो चुकी हैं, जिसमें थायराइड, डायबिटीज, यूरिक एसिड जैसी बीमारियां हैं। वहीं कुछ बीमारियां काफी ज्यादा रेयर होती हैं, ऐसी बीमारियों में अवस्कुलर नेक्रोसिस शामिल है।
यह काफी ज्यादा रेयर बीमारी है, जो हड्डियों में ब्लड की आपूर्ति में कमी के कारण होता है। जब हड्डियों में ब्लड सही से नहीं पहुंच पाता है, तो इसकी वजह से हड्डियों के टिश्यूज डेड होने लगते हैं। इस स्थिति को ही ऑस्टियोनेक्रोसिस यानी अवस्कुलर नेक्रोसिस कहा जाता है। इस स्थिति में मरीजों की हड्डियों के छोटे-छोटे टुकड़े हो सकते हैं। वहीं, कुछ मरीजों की हड्डियों ढहने लगती है।
अवस्कुलर नेक्रोसिस के कारण
अवस्कुलर नेक्रोसिस होने का सबसे प्रमुख कारण हड्डियों में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होना होता है। हड्डियों में ब्लड के कम आपूर्ति के निम्न कारण हो सकते हैं, जैसे-
जोड़ों या हड्डियों में चोट लगना – यदि आपको कभी किसी तरह की हड्डियों में चोट लगी है या फिर जोड़ों का कोई ट्रांसप्लांट हुआ है, तो इस स्थिति में ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा हड्डियों के कैंसर में रेडिएशन का प्रयोग होता है, जो ब्लड कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। इन स्थितियों में अवस्कुलर नेक्रोसिस का खतरा रहता है।
ब्लड वेसल्स में फैट जमा होना – ब्लड वेसेल्स में वसा यानी लिपिड जमा होने की वजह से छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं में ब्लड अवरुद्ध होने लगता है। ऐसे में हड्डियों में ब्लड की आपूर्ति कम होने लगती है। इससे हड्डियां डैमेज होने लगती है।
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कुछ बीमारियां – सिकल सेल एनीमिया और गौचर डिजीज जैसी स्थितियों की वजह से भी हड्डियों में ब्लड सर्कुलेशन स्लो होने लगता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
कुछ स्थितियों में अवस्कुलर नेक्रोसिस के कारणों का पता लगाना मुश्किल होता है। कई बार शराब, कुछ दवाओं और अन्य बीमारियों के कारण भी अवस्कुलर नक्रोसिस होने का खतरा रहता है। इस खतरनाक डिजीज से आप किसी भी उम्र में प्रभावित हो सकती हैं। लेकिन यह स्थिति 30 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में सबसे आम है।
अवस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण
अवस्कुलर नेक्रोसिस से पीड़ित कुछ मरीजों के शुरुआती स्टेज में इसके कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं। जैसे-जैसे मरीज की स्थिति बिगड़ती है, वैसे-वैसे प्रभावित हिस्से के जोड़ों में दर्द होने लगता है। यह दर्द इतना खतरनाक होता है कि मरीज को लेटने तक में परेशानी होती है। दर्द हल्का या गंभीर हो सकता है। दर्द आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होता है। अगर अवस्कुलर नेक्रोसिस से कुल्हा प्रभावित हुआ है, तो इस स्थिति में कमर में दर्द, जांघ या नितंब पर दर्द होता है। इसके अलावा अवस्कुलर नेक्रोसिस कंधा, घुटना, हाथ और पैर को भी प्रभावित करता है। कुछ लोगों में एवास्कुलर नेक्रोसिस कुल्हे के दोनों ओर हो सकता है।
अवस्कुलर नेक्रोसिस का इलाज
अवस्कुलर नेक्रोसिस काफी गंभीर और रेयर स्थिति है। इसका पूर्ण रूप से इलाज संभव नहीं है। हालांकि, समय पर इलाज से मरीज की स्थिति में थोड़ा सुधार किया जा सकता है। ऐसे में अगर आपको हड्डियों में किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो अपने हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह लें।