सोचो क्या होगा अगर अचानक से आप सब कुछ भूल जाएं, दिमाग एकदम से ब्लैंक हो जाए। ऐसी ही एक बीमारी है जिसे डिमेंशिया कहते हैं। डिमेंशिया एक गंभीर समस्या है। इसमें व्यक्ति सोचने समझने की क्षमता खो देता है। डिमेंशिया होने की स्थिति में व्यक्ति पूरी तरह से दूसरे पर निर्भर हो जाता है। खुद से वह कुछ नहीं कर सकता। छोटी-छोटी चीजों के लिए वह दूसरों पर निर्भर रहने लगता है।
दिल्ली एम्स की डॉक्टर प्रियंका ने बताया कि अगर आपको लगता है की सिर्फ मेमोरी लॉस ही डिमेंशिया है, तो यह पूरी तरह गलत है क्योंकि डिमेंशिया एक बहुत बड़ा टर्म है। इसके अंदर बहुत सी चीजें आती हैं। इसमें पेशेंट को भूलने की दिक्कत तो होती ही है लेकिन इसके साथ ही डिमेंशिया पेशेंट को रास्ता भूल जाना, चेहरे पहचानने में असमर्थ होना, नाम भूल जाना, घर में किचन कहां है और बाथरूम कहां है, सबकुछ भूल जाना जैसी तमाम समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
युवाओं में डिमेंशिया होने का प्रमुख कारण
डिमेंशिया पेशेंट पहले से जिस काम में निपुण था, वही नहीं कर पाता। जैसे एक महिला घर में खाना बनाती है तो उसे गैस कैसे जलानी है, सब्जी में कितनी मात्रा में मसाले डालने हैं, सब्जी कैसे काटनी है भूल जाना और कभी-कभी वह गैस जलते ही छोड़ के चली जाती है। यंग लोगों में यह समस्या हाइपोथाइरॉएडिज्म और विटामिन बी 12 की कमी से आती है।
डिमेंशिया के प्रमुख कारण
अल्जाइमर
अल्जाइमर से ग्रसित पेशेंट के मस्तिष्क में प्रोटीन जमा होने लगता है। एक समय के बाद मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है जिससे कोशिकाएं मरने लगती हैं। अल्जाइमर रोग ही डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण है। जिसमें याददाश्त, सोच, व्यवहार और सामाजिक कौशल में कमी आने लगती है।
वैस्कुलर डिमेंशिया
दिमाग में ब्लड फ्लो में कमी के कारण वैस्कुलर डिमेंशिया होता है।
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लुई बॉडी डिमेंशिया
ब्रेन में असामान्य रूप से प्रोटीन जमा होने के कारण जो डिमेंशिया होता है उसे लुई बॉडी डिमेंशिया करते हैं।
फ्रंटो टेम्पोरल डिमेंशिया
यह मन के उस हिस्से को प्रभावित करता है जो यादों और आवाजों को प्रोसेस करता है देखने की क्षमता, आवाज निकालना, भाषा को समझने में मदद करता है। इसके अलावा फीलिंग को इफेक्ट करना जैसे- भूख, प्यास और लड़ाई को कंट्रोल करना।
ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी
दिमाग में कभी तेज चोट लग जाए तो दिल की वजह जैसी बीमारी हो सकती है।
मेडिकल कंडीशन
कई बीमारियां भी डिमेंशिया के कारण बन सकते हैं जैसे पार्किंसन डिजीज, हंटिंगटन डिजीज और एचआईवी।
डिमेंशिया का इलाज
मेडिसिन: डिमेंशिया के प्रकार के अनुसार मार्केट में कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं।
बिहेवियरल ट्रीटमेंट: स्टेटमेंट के मदद से मरीज को सिचुएशन को डील करना और चैनल को बेहतर तरीके से समझाया जाता है।
सपोर्टिव केयरः प्रेगनेंसी के पेशेंट को हमेशा सपोर्ट करना चाहिए जिससे वह रोज में लगे कामकाज में मदद कर सके।
लाइफस्टाइलः डिमेंशिया पेशेंट को हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए हेल्प करना चाहिए। उन्हें रेगुलर एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट और सोशल होने की सलाह दी जाती है।