प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। प्रेगनेंसी के दौरान छोटी सी भी लापरवाही मां तथा बच्चे दोनों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। “बर्थ डिफेक्ट” इन्हीं जोखिम कारकों में से एक हैं। बर्थ डिफेक्ट को जन्म दोष भी कहते हैं। बहुत-सी महिलाओं को इसकी जानकारी होती है, वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी होंगी जिन्हें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं होगा। हालांकि, कंसीव करने से पहले महिलाओं को बर्थ डिफेक्ट के बारे में पता होना चाहिए। ताकि वे अपनी प्रेगनेंसी जर्नी के दौरान अपना पूरा ख्याल रखें और इस संभावित परेशानी का खतरा कम हो जाए।
बर्थ डिफेक्ट से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए डीपीयू सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी, पुणे के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के प्रमुख डॉ. हेमंत जी. देशपांडे ने कुछ खास बातें बताई हैं। आइये जानते हैं, इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
क्या है बर्थ डिफेक्ट
जन्म के समय से बच्चों में नजर आने वाले स्ट्रक्चरल बदलाव को बर्थ डिफेक्ट कहते हैं। जन्म दोष से पीड़ित बच्चों के हार्ट, स्पाइन, स्किन, ब्रेन, आदि का स्ट्रक्चर सामान्य से अलग नजर आ सकता है। बर्थ डिफेक्ट शरीर के बनावट, बॉडी ऑर्गन के फंक्शन यहां तक की दोनों को प्रभावित कर सकता है। यूनाइटेड स्टेट में हर वर्ष लगभग 33 बच्चों में से एक बच्चा सीरियस बर्थ डिफेक्ट से ग्रसित है।
बर्थ डिफेक्ट के खतरे को कैसे करें कम
डाइट में शामिल करें पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स
संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार स्वस्थ गर्भावस्था का आधार हैं। इस दौरान आपको अपनी डाइट में स्वस्थ फल, सब्जी, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इन खाद्य पदार्थों में बच्चे के विकास के लिए सभी आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं। उदाहरण के लिए, फोलिक एसिड न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को रोकने के लिए जाना जाता है और कंसीव करने से पहले से आपको इसकी उचित मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।
रेगुलर पैरेंटल चेकअप जरूरी
बच्चे के विकास की निगरानी करने और किसी भी संभावित समस्या का समय से पता लगाने के लिए रेगुलर पैरेंटल चेकअप जरूरी है। ऐसे में यदि कोई समस्या नजर आती है, तो डॉक्टर उसे समय रहते ट्रीट कर पाते हैं। इसके अलावा नियमित जांच करवाते रहने से महिलाओं में मौजूद पोषक तत्व, खून आदि की मात्रा का पता चलता है। जिन्हें समय रहते नियंत्रण में लाना आसान हो जाता है, जिससे कि बच्चों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर नियमित जांच की सिफारिश करते हैं।
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हानिकारक पदार्थों से बचाव जरूरी
शराब, तंबाकू और मनोरंजक दवाओं का सेवन ग्रोइंग फिटस के लिए गंभीर जोखिम कारकों का कारण बन सकता है। ये सभी उनके लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। इन पदार्थों को विभिन्न प्रकार के जन्म दोषों से जोड़ा जाता है। इससे बच्चे की ग्रोथ में रुकावट आ सकती है। वहीं गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान इन हानिकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान दें
स्वस्थ गर्भावस्था के लिए पर्याप्त आराम आवश्यक है। थकान और तनाव बच्चे के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को पर्याप्त नींद लेने की आवश्यकता होती है, उन्हे इसे प्राथमिकता देनी चाहिए और अपने बढ़ते बच्चे के लिए सकारात्मक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए योग या ध्यान जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाना चाहिए।
व्यायाम करना जरूरी
मध्यम, कम प्रभाव वाले व्यायाम में शामिल होने से गर्भावस्था के दौरान समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, इंटेंस गतिविधियों से बचना चाहिए। वहीं प्रेगनेंसी में महिलाओं को एक सुरक्षित और उपयुक्त व्यायाम दिनचर्या निर्धारित करने के लिए अपने हेल्थ केयर एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। एक्सपर्ट आपकी कंडीशन को देखकर ये तय करते हैं, कि आपको कितनी और किस प्रकार की एक्सरसाइज और योग की आवश्यकता है।
जेनेटिक्स को समझें
कुछ जन्म दोषों का आधार जेनेटिक्स होता है। फैमिली हिस्ट्री वाले जोड़ों को जेनेटिक काउंसलिंग से लाभ हो सकता है। काउंसलिंग आपको जेनेटिक्स की वजह से होने वाली परेशानियों से पूरी तरह से जागरूक करवाता है, साथ ही इससे बचाव के उपाय भी बताए जाते हैं।
नोट – मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उचित पोषण, नियमित चिकित्सा जांच, जीवनशैली में समायोजन और आवश्यकता पड़ने पर जेनेटिक काउंसलिंग के संयोजन की मदद पड़ सकती है। प्रेगनेंट माता-पिता बर्थ डिफेक्ट के जोखिमों को कम कर सकते हैं और अपने बच्चे को जीवन में सर्वोत्तम संभव शुरुआत दे सकते हैं।