मौसम बदल रहा है और लगातार तापमान के उतार-चढ़ाव का असर इन दिनों छोटे बच्चों पर दिखाई दे रहा है. भीलवाड़ा जिले के सबसे बड़े अस्पताल महात्मा गांधी चिकित्सालय में खांसी, जुकाम और बुखार के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. वहीं, इसमें से रोजाना मम्स वायरस के मरीज भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में बच्चों में तेज बुखार आने के साथ उल्टी भी हो रही है.
यह मम्स गलसुआ पैरामाइक्सो नामक वायरस के कारण होता है जो असल में हवा में थूक के कण या छींक, नाक और गले से निकलने वाले संक्रामक एयर ड्रॉपलेट्स की वजह से एक से दूसरे बच्चों में फैलता है.
राजकीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इंदिरा सिंह ने बताया कि बदलते मौसम की वजह से बच्चों में इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है. भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय की मातृ और शिशु इकाई में रोजाना 10 मरीज मम्स वायरस के सामने आ रहे हैं.
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क्या हैं दिखने वाले लक्षण
यह एक संक्रामक वायरस है इसके लक्षण मुख्य रूप से बुखार, खांसी, सिर दर्द बदन दर्द और मुख्य रूप से बीमारी में लार ग्रंथियों में सूजन के कारण निगलने में परेशानी आने लगती है. यह एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है. इस वायरस 3 साल की उम्र से 10 से 12 साल तक बच्चों में ज्यादा फैलने का खतरा बना रहता है अगर समय रहते इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह एक बड़ा रूप ले सकती है.
कैसे करें बचाव
डॉ. इंदिरा सिंह कहते हैं कि इस बीमारी से बचाव के लिए बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए और लोगों के संक्रमण से ज्यादा से ज्यादा बचने की कोशिश करें. इसके साथ ही अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने, गुनगुने नमक वाले पानी से गरारे करें, मुलायम, आसानी से चबाने वाला खाना खाएं.
इलाज नहीं होने पर समस्याएं
मम्स संक्रामक रोग है जो आमतौर पर कान के पास लार ग्रंथियों में सूजन और कोमलता के साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगने जैसे लक्षणों के साथ होता. समय पर इलाज नहीं करवाने पर मरीज में मेनिनजाइटिस, एन्सेफेलाइटिस, ऑर्काइटिस और बहरेपन जैसी समस्या हो सकती हैं