अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस नामक एक दुर्लभ बीमारी के बारे में जागरूक होना चाहिए। जिसे अंडाशय का एक खामोश खतरा और प्रजनन क्षमता को धीरे-धीरे कम करने वाला माना जाता है। मार्च को एंडोमेट्रियोसिस जागरूकता माह के रूप में भी जाना जाता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि कभी एक दुर्लभ बीमारी मानी जाने वाली इस बीमारी का अब आम तौर पर निदान किया जाता है और कर्नाटक में एंडोमेट्रियोसिस (का प्रसार बढ़ रहा है। एंडोमेट्रियोसिस एक सूजन की स्थिति है जहां एंडोमेट्रियल ऊतक (गर्भाशय की परत के समान ऊतक) गर्भाशय के बाहर बढ़ता है। डोमेट्रियोसिस गर्भाशय, मूत्राशय या आंतों जैसे अंगों को कुछ बिंदुओं पर आपस में चिपका सकता है और इस स्थिति को ‘आसंजन’ कहा जाता है।
फोर्टिस अस्पताल, बैंगलोर की सलाहकार, प्रसूति शास्त्री और गायनेकोलॉजिस्ट, फर्टिलिटी और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. उषा बीआर के मुताबिक लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं जो बाह्य रोगी विभाग में दर्दनाक मासिक धर्म और डिस्पैरुनिया की शिकायतों के साथ आती हैं। उन्हें एंडोमेट्रियोसिस का पता चलता है, कुछ मामलों में तो कोई लक्षण नहीं होते हैं।
उन्होंने बताया, “मैं हर महीने कम से कम 25 मामले देखती हूं। यह यौन क्रिया के दौरान भी दर्द का कारण बनता है, जिससे यौन रोग, पारस्परिक विवाद और बाद में बांझपन होता है। एंडोमेट्रियोसिस अंडाशय का एक खामोश खतरा और प्रजनन क्षमता को धीरे-धीरे कम करने वाला है।”
डॉ. रमेश ने कहा कि एंडोमेट्रियोसिस जो प्रजनन आयु की 10 से 15 प्रतिशत महिलाओं और पुरानी श्रोणि दर्द वाली 70 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है, अक्सर गलत निदान के कारण सामने नहीं आ पाता है, जिससे अनावश्यक परेशानी बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि “यह आमतौर पर डिस्मेनोरेरिया के रूप में होता है, जो मासिक धर्म के दौरान तीव्र दर्द के रूप में प्रकट होता है, जिसे अक्सर सामान्य माना जाता है। ये महिलाएं न केवल शारीरिक पीड़ा बल्कि मानसिक पीड़ा भी सहती हैं, क्योंकि उनके दर्द को अक्सर उनके साथियों द्वारा कम दर्द सहने की क्षमता मान लिया जाता है। औसतन 6.7 साल के देरी से निदान होने के कारण, लगातार दर्द और स्वास्थ्य बिगड़ने का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से किशोरावस्था में जल्दी पता लगाने से उम्मीद की किरण जगी है, जिससे संभावित रूप से पीड़ा कम हो सकती है और प्रजनन क्षमता बची रह सकती है।
कर्नाटक के बेंगलुरु में कई क्षेत्रों की तरह एंडोमेट्रियोसिस के निदान और प्रबंधन में लागत और लक्षणों की जटिलता जैसी बाधाएं बनी हुई हैं। हालांकि, जल्दी से इलाज शुरू करने की संभावना उम्मीद की एक किरण बनी हुई है। जो दर्द से राहत दिलाने, बीमारी की प्रगति को रोकने और पूरे क्षेत्र में महिलाओं की प्रजनन क्षमता की रक्षा करने का वादा करती है।