उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं। इसके चलते जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। जोड़ों में होने वाली इन समस्याओं को अर्थराइटिस कहा जाता है। इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे सामने आने लगते हैं।
अर्थराइटिस यानि गठिया का मतलब जोड़ों की सूजन है। सूजन इस समस्या का सबसे सामान्य लक्षण है। जोड़ यानि वो क्षेत्र जहां शरीर की दो हड्डियां मिलती है। घुटने, कोहनी और उगलियां इसके उदाहरण हैं। गठिया कई प्रकार का होता है। उनमें जोड़ों के अलावा आंखें, हृदय व त्वचा भी प्रभावित हो सकती हैं। शरीर का इम्यून सिस्टम जब गड़बड़ाने लगता है, तो ये बीमारी धीरे धीरे शरीर को अपनी चपेट में ले लेती है। इस ऑटोइम्यून डिजीज में बॉडी में मौजूद हेल्दी सेल्स पर अटैक किया जाता है। इससे शरीर में सूजन की स्थिति पैदा हो जाती है।
40 के बाद ज्यादातर लोगों में होने वाली यह समस्या आमतौर पर घुटनों, कोहनी और कलाई को ज्यादा प्रभावित करती है। इसके चलते उंगलियों और पैरों के जॉइंट में ऐंठन, दर्द और सूजन का एहसास होने लगता है। शरीर के जोड़ों को प्रभावित करने वाली इस बीमारी के दो रूप हैं।
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अर्थराइटिस के प्रकार
- ऑस्टियो अर्थराइटिस
- रुमेटाइड अर्थराइटिस
अर्थराइटिस होने के कारण
मोटापा
शरीर का वज़न बढ़ने से उसका प्रभाव जोड़ों पर पड़ने लगता है। इसके चलते जोड़ों में दर्द और ऐंठन की समस्या बनी रहती है। इसका असर कार्टिलेज़ पर दिखने लगता है।
जेनेटिक
कई बार अनुवांशिक तौर पर भी ये हमारे शरीर में फैलने लगता है। अगर परिवार का कोई भी सदस्य इसे ग्रस्त हो, तो ये आपको भी प्रभावित करता है।
खराब खान पान
उचित खान पान न होना भी अर्थराइटिस बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। हेल्दी डाइट न लेने से हम इस आटो इम्यून डिजीज के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में हमें रोज़ाना पौष्टिक भोजन के अलावा एक्सरसाइज़ को भी अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए।
बढ़ती उम्र
उम्र बढ़ने के साथस हमारी हड्डिया कमज़ोर होने लगती है। तकरीबन 60 की उम्र के बाद लोग इस समस्या के शिकार होने लगते हैं। हड्डियों पर शरीर का वज़न न आने से ये समस्या पनपने का खतरा बना रहता है।
चोट लगना
कई बार लगने वाली सामान्य चोट भी ऑस्टियो अर्थराइटिस का कारण साबित होती है। चोट लगने से कार्टिलेज का स्तर घटने लगता है। इससे शरीर कमज़ोर होने लगता है और ये समस्या बढ़ जाती है।
अर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं?
जोड़ों में ऐंठन
लंबे वक्त तक बैठने पर इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के जोड़ों में ऐंठन का एहसास होने लगता है। खासतौर पर घुटनों में सबसे ज्यादा अकड़ान महसूस होने लगती है। उठते-बैठते वक्त, सीढ़ियां चढ़ते समय और घुटने मोड़कर योग करते वक्त यह दर्द अगर बढ़ने लगे, तो ये अर्थराइटिस की समस्या का एक संकेत है। अगर आप इस समस्या का अनुभव कर रही हैं, तो इसे हल्के में न लें।
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सूजन महसूस होना
अर्थराइटिस के चलते शारीरिक अंगों में ऐंठन के अलावा सूजन भी पाई जाती है। इसमें त्वचा पर सूजन के अलावा लालिमा भी नज़र आती है। साथ ही शरीर के अंग गर्म भी लगने लगते हैं। अगर आपको बार बार सूजन की समस्या झेलनी पड़ रही है या लंबे वक्त तक सूजन बनी हुई है, तो डॉक्टरी जांच आवश्यक है।
हमेशा दर्द की शिकायत
गठिया के दौरान दर्द का अनुभव होना एक शुरूआती संकेत माना जाता है। कई बार ये दर्द लगातार बना रहता है, तो कभी आता जाता भी है। शरीर के कई अंगों में अगर आपको दर्द रहने लगा है, तो उपचार अवश्य कराएं।
झनझनाहट का अनुभव होना
अगर आप देर तक एक ही कुर्सी पर बैठी रहती हैं, तो इससे पैरों में, घुटनों में और हाथों में झनझनाहट लगने लगती है। इससे आप आसानी से उठ बैठ नहीं पाती है। इसके चलते देर तक एक ही जगह पर बैठी रहती है। बार बार सनसनी महसूस करना भी अर्थराइटिस का ही एक संकेत है।
अर्थराइटिस का पता कैसे चलेगा?
- इसके अलावा ब्लड, यूरिन और जोड़ों के फ्लूइड को लेकर लेबोरेटरी टेस्ट भी करवाए जाते हैं।
- बीमारी की तह तक पहुंचने के लिए एक्स रे, एमआर आई और सीटी स्कैन भी आवश्यकतानुसार किए जाते हैं।
- फिजिकल एग्जामिनेशन करके डॉक्टर इस बीमारी का पता लगा पाते हैं। इसके लिए वे जोड़ों में होने वाली दर्द व सूजन की जांच करते हैं।
- आर्थरोस्कोपी का भी प्रयोग किया जाता है। इसके ज़रिए घुटनों के नज़दीक एक टयूब को इंसर्ट किया जाता है। जिससे अंदरूनी इमेज़िज़ के सहारे समस्या को बारीकी से समझा जा सके।
अर्थराइटिस का उपचार क्या है?
एक्सरसाइज़ करें
दिन भर में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ करना बेहद ज़रूरी है। इससे शारीरिक अंगों में मौजूद स्टिफनेस दूर होने लगती हैं। इससे बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर बनता है। सुबह स्ट्रेचिंग से दिन की शुरूआत करें और कुछ वक्त योग व मेडिटेशन के लिए निकालें
मोटापे से बचें
दिनभर में कुछ देर वॉक के लिए निकालें। इससे शरीर को वज़न नियंत्रित रहता है। इसके अलावा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से भी बचा रहता है। वज़न को नियंत्रित करने से आपके शरीर का वजन जोड़ों में होने वाली तकलीफ को कम कर देता है।
हाइड्रेटेड रहें
पानी बार-बार पिएं और बॉडी में वॉटर लेवल को मेंटेन रखें। इससे शरीर के बाकी अंगों में थकान और दर्द की समस्या नहीं रहती है। साथ ही बॉडी में फ्लूइड की मात्रा बरकरार रहती है। अपनी डाइट में पानी के अलावा अन्य प्रकार के तरल पदार्थों को भी शामिल करें। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति होती है।