पूरी दुनिया में अभी भी कोरोना वायरस का खतरा खत्म नहीं हुआ है. इसी बीच कई हजार साल पुराने एक वायरस के फिर से बाहर आने का खतरा बढ़ गया है. इससे किसी नई महामारी के आने का जोखिम है.
वैज्ञानिकों ने आर्कटिक की बर्फ में हजारों सालों से दबे जॉम्बी वायरस के फिर से बाहर आने की चेतावनी जारी की है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि बीते कुछ सालों से आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है. ऐसे में जॉम्बी वायरस बाहर आ सकते हैं. अगर ये वायरस बाहर आ गया तो दुनियाभर के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
बीते कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग की वजब से तापमान बढ़ रहा है जिससे बर्फ पिघल रही है तो इससे वायरस के बाहर आने का खतरा बढ़ गया है. वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले सैंपल लिए थे. इसकी रिसर्च से सामने आया है कि आर्कटिक के बर्फ में मौजूद वायरस कई हजार सालों से बर्फ के नीचे जमा हैं.
48,500 साल पुराने वायरस का क्या नाम
ऐक्स-मार्सिले विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जीन मिशेल कहते हैं कि इस तरह के वायरस मनुष्यों में अगर फैलते हैं तो इससे काफी खतरा हो सकता है. पिछले साल इस वायरस से जुड़ी हुई एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें साइबेरियाई इलाकों से वायरस के कई तरह के सैंपल लिए गए थे. जिसमें पता चला था कि एक वायरस करीब 48,500 साल पुराना है. इसको जॉम्बी वायरस कहा गया था.
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वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है क बर्फ के पिघलने से यह वायरस बाहर आ सकता है. वैज्ञानिकों ने कहा था कि 48,500 सालों से बर्फ में जमा जॉम्बी वायरस अगर बाहर आते हैं तो इनसे संक्रमण का खतरा हो सकता है. इससे किसी नई महामारी के आने का रिस्क है.
आर्कटिक निगरानी नेटवर्क की योजना
जॉम्बी वायरस कई हजार सालों से जमीन में दबे हुए हैं, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इनके बाहर आने का खतरा बना हुआ है. वायरस अगर बाहर आता है तो रिस्क हो सकता है. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एक आर्कटिक निगरानी नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई है. इससे जॉम्बी वायरस के फैलने की शुरुआती स्तर पर ही पता चल सकेगा. इससे वायरस को रोका जा सकेगा.
क्या पूरी दुनिया के लिए है खतरा?
महामारी विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार बताते हैं कि बीते कुछ सालों से अलग-अलग वायरस को लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ गई है. इसी वजह से कुछ नए और पुराने वायरस की जानकारी मिल रही है. यह भी एक चिंता की बात है कि कई इलाकों में बर्फ पिघल रही है और अगर वहां कोई वायरस मौजूद है तो यह फैल भी सकता है. कई ऐसे वायरस हैं जो हजारों सालों से मौजूद हैं, लेकिन वह एक्टिव नहीं हैं या उनकी मारक क्षमता खत्म हो चुकी है. ऐसे में जॉम्बी वायरस के बारे में अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
फिलहाल जरूरी यह है कि इस तरह के वायरस के संक्रमण की रोकथाम की जाए और वायरस के किसी भी सैंपल के साथ छेड़छाड़ न हो. अगर इस पर रिसर्च के लिए कुछ होगा तो वायरस के फैलने का खतरा बना रहता है.