स्वास्थ्य और बीमारियां

इस बीमारी के कारण कभी मां नहीं बन पाएंगीं Selena Gomez, जानें क्‍या होते हैं लक्षण?

Selena Gomez: हॉलीवुड एक्‍ट्रेस, सुपर सिंगर, बिजनेस वुमेन और प्रोड्यूसर सेलेना गोमेज इन दिनों अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में हैं। असल में, 32 वर्षीय सिंगर ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि वह कभी मां नहीं बन पाएगी। वह भविष्‍य में सरोगेसी से बच्चा पैदा करेंगी या किसी अनाथ बच्चों को गोद लेंगी।

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान 32 वर्षीय सेलेना गोमेज ने बताया कि पहले मैंने कभी ऐसा नहीं कहा, लेकिन दुर्भाग्य से मैं अब अपने बच्चों को जन्म नहीं दे सकती हूं। मुझे ऐसी कई बीमारियां हैं, जो मेरे और मेरे बच्चे दोनों के जीवन पर नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह ऐसा नुकसान है, जिससे मुझे कुछ समय तक शोक मनाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही मैं बच्चों को जन्म नहीं दे पाऊंगी, लेकिन फ्यूचर में सरोगेसी या फिर किसी अनाथ बच्चों को गोद लेकर मां बनने का सपना पूरा करूंगी।

सेलेना गोमेज को है ल्‍यूपस नाम की बीमारी (Selena Gomez has a disease called Lupus)

अमेरिकन सिंगर सेलेना गोमेज बीते लंबे समय से ल्यूपस नाम की एक बीमारी से जूझ रही हैं। यह एक ऑटो इम्यून बीमारी होती है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही टिशू पर अटैक करता है। इतना ही नहीं, साल 2017 में ल्यूपस के कॉम्प्लिकेशन के कारण ही सेलेना गोमेज का किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था, जिस वजह से उन्हें मेंटल प्रॉब्लम बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में भी पता चला। इस बीमारी के बारे में उनकी डॉक्यूमेंट्री में भी जिक्र किया गया है।

अब ऐसे मां बनेंगी सेलेना गोमेज

बिजनेस वुमेन सेलेना गोमेज ने ये भी खुलासा किया है कि वो मां बनने के दूसरे तरीकों पर विचार करेंगी। उन्होंने कहा कि वो सरोगेसी या फिर बच्चे को गोद लेने पर फैसला कर सकती हैं। सेलेना ने कहा कि ‘ये वैसा नहीं है, जैसा मैंने सोचा था। मगर, मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि सरोगेसी या गोद लेने का ऑप्शन है, जिनमें से दोनों ही मेरे लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं।’

बता दें कि सेलेना गोमेज की मां मैंडी टीफी को भी गोद लिया गया था। उन्होंने कहा कि मैं शुक्रगुजार हूं कि ऐसे लोग हैं, जो सरोगेसी या गोद लेने के लिए तैयार हैं। मैं इस जर्नी के लिए एक्साइटेड हूं, भले ही यह मेरी कल्पना से अलग दिखें, लेकिन यह मेरा बच्चा होगा।

क्या है ल्‍यूपस? (What is Lupus)

मेयो क्लीनिक के अनुसार, ल्‍यूपस एक ऑटो इम्यून डिजीज है। ऐसा तब होता है, जब शरीर को रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम ही बॉडी को नुकसान पहुंचाने लगता है और अटैक करने लगता है। इसका असर शरीर के कई अंगों पर होता है, जैसे- जॉइंट्स, स्किन, किडनी, ब्लड सेल्स, ब्रेन, हार्ट और फेफड़े। ल्‍यूपस का समझना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इसके लक्षण दूसरी बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। यही कारण है कि इसे डायग्नोज करने में कई बार देरी हो जाती है। इसमें चेहरे पर तितली के आकार के चकत्ते पड़ना इसका सबसे कॉमन लक्षण है। यह नाक पर नजर आता है। कई लोगों में जन्मजात इसके मामले सामने आते हैं। ऐसे मामले में शरीर में संक्रमण होने, धूप के संपर्क में आने और किसी खास दवा के कारण लक्षण उभरते हैं।

ल्यूपस बीमारी के कुछ लक्षण (Lupus Disease Signs)

त्वचा पर चकत्ते, खासकर गालों और नाक के पुल पर,जो ‘तितली’ जैसा दिखता है। ये चकत्ते सूरज की रोशनी में और भी बदतर हो सकते हैं।

जोड़ों में दर्द और सूजन, खासकर उंगलियों, हाथों, कलाई, और घुटनों में।

बुखार।

थकान।

बालों का झड़ना।

नाक और मुंह में घाव।

ठंड और तनाव के कारण उंगलियों और पैर की उंगलियों का रंग बदलना।

सूजी हुई ग्रंथियां।

पैरों या आंखों के आस-पास सूजन।

सीने में दर्द, खासकर गहरी सांस लेते समय।

सिरदर्द, चक्कर आना, अवसाद, भ्रम या दौरे।

पेट में दर्द।

अभी तक क्यों नहीं ढूंढा जा सका इसका इलाज?

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ विशेष दवाओं के जरिए इसके लक्षणों को कंट्रोल करने का प्रयास किया जाता है। अब तक ल्‍यूपस का कोई सटीक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है, क्योंकि यह बीमारी क्यों होती है, इसका पता नहीं चल पाया है। ब्रिटेन की हेल्थ एजेंसी NHS के अनुसार, पुरुषों के मुकाबले ल्‍यूपस के मामले महिलाओं में ज्यादा सामने आते हैं।

कितना खतरनाक है ल्‍यूपस?

मेयो क्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार, ल्‍यूपस कई तरह से शरीर पर असर छोड़ती है। गंभीर स्थिति में यह शरीर के कई अंगों को डैमेज करने के साथ कैंसर की वजह भी बन सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह किडनी को डैमेज कर सकती है। यह शरीर में सूजन को बढ़ाती है, नतीजा सीने में दर्द हो सकता है।ब्रेन में बीमारी का असर बढ़ने पर मरीज के व्यवहार पर बुरा असर पड़ता है, स्ट्रोक या मिर्गी का दौरा आ सकता है। इसके अलावा सिरदर्द और बेहोशी छा सकती है। फेफड़े, दिल और हार्ट मसल्स में सूजन आ सकती है, जिससे जान का जोखिम बढ़ता है।

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