स्वाइन फ्लू को H1N1 वायरस भी कहते हैं. यह इंफ्लुएंजा के एक नए स्ट्रेन की तरह ही है क्योंकि इसके लक्षण सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं. यह सूअरों में होने वाली बीमारी है जो पहली बार साल 2009 में इंसानों में पाई गई. इंसानों में इसका संक्रमण रेट एक से दूसरे व्यक्ति में फैलना काफी तेज है. स्वाइन फ्लू के H1N2 और H1N3 वैरिएंट भी हैं, जो इंसानों में उतनी तेजी से नहीं फैलते हैं. इनके केस भी काफी कम हैं लेकिन अब एक नई स्टडी में H1N2 से आगाह किया गया है. इसे अगली महामारी बताया गया है जो काफी चिंताजनक है.
हाल ही में हुए एक अध्ययन ने सूअर आईएवी (IAV) के महामारी के खतरे के आंकलन के लिए इन विट्रो और इन विवो दो तरीकों का इस्तेमाल कर H1N1 महामारी के बाद विस्तार से अध्ययन किया, जिसमें H1N2 में महामारी का खतरा पाया गया.
स्टडी से क्या पता चला
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि H1N2 क्लैड के रिप्रजेंटेटिव में ह्यूमन वैक्सीन स्ट्रेन से एंटीजेनिक दूरी थी, जिसके कारण सूअरों से फेरेट्स में ट्रांसमिशन और ह्यूमन सीरा की पहचना हुई. रिजल्ट में H1N1 या H3N2 फेरेट्स में H1N2 के खिलाफ क्रॉस-न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी ह्यूमन सीरे में नहीं पाए गए. इसमें एंटी-N2 एंटीबॉडी के अलग-अलग लेवल की पहचान की गई. इस अध्ययन में पाया गया कि इस एनए-बेस्ड इम्यून से कुछ लेवल की सुरक्षा मिल सकती है.
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इस तरह इंसान हो सकते हैं प्रभावित
इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने पहले के किए गए शोधों से पता लगाया कि पहले से मिली इम्यूनिटी हेटेरोसबटाइपिक वायरस के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है और डिएक्टिव करने वाले एंटीबॉडी इस तरह की इम्यूनिटी को प्रभावित नहीं करते हैं.
H1N2 उनकी इम्यूनिटी के बावजूद हवा के जरिए फेरेट्स तक सफलतापूर्वक स्प्रेड किया गया था. H1N2 हवा से पैदा होने वाले संक्रमण के संबंध में इंसानों में मौसमी वायरस के प्रति प्रतिरक्षा का कोई प्रभाव नहीं पाया गया, जिससे सुरक्षा हो सके. इस अध्ययन में पाया गया कि H1N2 वायरस स्ट्रेन, H1N1 स्ट्रेन की तुलना में महामारी का खतरा ज्यादा पैदा कर सकता है.