स्वास्थ्य और बीमारियां

15 साल पहले इस बीमारी का पता लगाएगा नया ब्लड टेस्ट, जानें कैसे करेगा काम

स्वीडन के वैज्ञानिकों ने एक नया खून टेस्ट बनाया है जो 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में अल्जाइमर रोग के खतरे का पता लगा सकता है, वो भी लक्षण दिखने से 15 साल पहले। अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है जो याददाश्त और सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। यह टेस्ट खून में फॉस्फोराइलेटेड ताऊ (p-tau) नामक प्रोटीन के स्तर को मापता है। यह प्रोटीन अल्जाइमर रोग से जुड़ा एक खास खून का बायोमार्कर है।

अभी तक दिमाग में बीटा एमाइलॉइड और ताऊ के जमाव का पता लगाने के लिए स्कैन या स्पाइनल टैप जैसे तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन ये टेस्ट न सिर्फ महंगे हैं, बल्कि हर जगह आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं। ‘JAMA न्यूरोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि यह नया और आसान खून टेस्ट बीटा एमाइलॉइड के बढ़े हुए स्तर को 96 प्रतिशत और ताऊ को 97 प्रतिशत तक सटीक पहचान सकता है।

स्वीडन के यूनिवर्सिटी ऑफ गोटेनबर्ग में मनश्चिकित्सा और न्यूरोकेमिस्ट्री विभाग के निकोलस जे. एश्टन के नेतृत्व में हुए इस शोध में कहा गया है कि यह अध्ययन व्यावसायिक रूप से उपलब्ध प्लाज्मा p-tau217 जांच की असरकारकता को उजागर करता है। ये नतीजे प्लाज्मा p-tau217 की अहम भूमिका को रेखांकित करते हैं, जिसका इस्तेमाल संज्ञानात्मक कमजोरी के शुरुआती जांच उपकरण के रूप में किया जा सकता है। इससे उन लोगों की पहचान हो सकेगी जिन्हें एंटी-एमाइलॉइड इम्यूनोथेरेपी से फायदा हो सकता है।”

एश्टन ने सीएनएन को बताया, “इन नतीजों में सबसे खास बात यह है कि यह खून टेस्ट ब्रेन स्कैन और स्पाइनल फ्लूइड टेस्ट जैसे जटिल टेस्ट जितना ही सटीक तरीके से दिमाग में अल्जाइमर से जुड़े बदलावों को दिखा पाया।”

इस अध्ययन में इस्तेमाल किया गया टेस्ट, जिसे ALZpath pTau217 जांच कहा जाता है। ALZpath कंपनी द्वारा विकसित एक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उपकरण है। ALZpath का अनुमान है कि इस टेस्ट की कीमत 200 से 500 डॉलर के बीच हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में लिखा है, “एक मजबूत और सटीक खून-आधारित बायोमार्कर संज्ञानात्मक कमजोरी के व्यापक मूल्यांकन को उन जगहों पर भी सक्षम बनाएगा जहां जटिल टेस्ट की सुविधा सीमित है। इसलिए, खून बायोमार्कर का इस्तेमाल शुरुआती और सटीक अल्जाइमर निदान को बेहतर बनाने और अंततः रोग-रोधी उपचारों तक समय पर पहुंच को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।”

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