स्वास्थ्य और बीमारियां

4000 साल पहले से हो रहा ये काम, Research में मिले खोपड़ी पर ऐसे निशान

कैंसर काफी घातक बीमारी मानी जाती है क्योंकि अधिकतर मामले गंभीर होने पर ही पता चलते हैं। आधुनिक समय में कई उपचार पद्धति से कैंसर का इलाज किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैंसर का इलाज आज से ही नहीं बल्कि 4000 साल से हो रहा है। यह बात सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है। हाल ही में 2 खोपड़ियों पर रिसर्च किया गया है, जो करीब 4 हजार साल पुरानी है। इस रिसर्च से पता चलता है कि प्राचीन मिस्त्र के लोगों द्वारा कैंसर का इलाज करने की कोशिश की गई थी।

मालूम हो कि मिस्त्र को दुनिया की सबसे पुरानी सभ्याओं में से एक माना जाता है। इस सभ्यता के लोग गंभीर से गंभीर बीमारियों और चोटों की पहचान करने में सक्षम थे। साथ ही वे लोग कृत्रिम अंग बनाने और दांतों को भरने में भी सक्षम माने जाते थे।

हजारों साल पुरानी खोपड़ी पर की गई रिसर्च

प्राचीन मिस्र के लोगों की क्षमता को बेहतर ढंग से जानने के लिए अंतर्राष्ट्रीय टीम के रिसर्चर्स ने दो मानव की खोपड़ियों का अध्ययन किया। यह दोनों खोपड़ियां काफी हजारों साल पुरानी थीं। इनमें से एक खोपड़ी महिला और एक खोपड़ी पुरुष की थी।

फ्रंटियर्स इन मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च पत्र में कहा गया है कि रिसर्च में शामिल की गई खोपड़ियों पर कटे के निशान थे। इस रिसर्च से प्राचीन मिस्रवासियों द्वारा की जाने वाली दर्दनाक और ऑन्कोलॉजिकल ट्रीटमेंट की लिमिट का पता चलता है। इस रिसर्च से पता चलता है कि प्राचीन मिस्त्र के लोगों ने 4000 साल से पहले से ही कैंसर से निपटने या उसे जानने की कोशिश की होगी।

बताया जा रहा है कि रिसर्च में शामिल की गई पुरुष की खोपड़ी 2,687 और 2,345 ईसा पूर्व के बीच की हैं। इस रिसर्च में जिस पुरुष की खोपड़ी को शामिल किया गया है, उसकी उम्र उस समय लगभग 30 से 35 वर्ष के बीच रही होगी। वहीं, जिस महिला की खोपड़ी का प्रयोग किया गया था, उस समय उसकी उम्र 50 वर्ष से अधिक रही होगी। महिला की खोपड़ी 663 और 343 ईसा पूर्व के बीच की है।

खोपड़ी में मिला कुछ ऐसा…

पुरुष की खोपड़ी का जब रिसर्च किया गया, तो इसमें पाया गया है कि उस दौरान अत्यधिक कोशिकाओं को नष्ट होने के अनुरूप एक बड़े आकार का घाव था, जिसे नियोप्लाज्म के रूप में जाना जाता है। वहीं, महिला की खोपड़ी में करीब 30 छोटे और गोल मेटास्टेसाइज्ड घाव भी दिखाई दे रहे थे, इन घावों पर किसी धातु के उपकरण से नुकीली चीज से कट का निशान लगाया गया था। ऐसे में साबित होता है कि उस दौरान लोगों द्वारा कैंसर का इलाज करने की कोशिश की जा रही थी।

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