गर्भावस्था

प्रेग्नेंसी में HIV से मां और बच्चे को क्या-क्या नुकसान होते हैं, एक्सपर्ट से जानें

प्रेगनेंसी हर महिला के लिए खुशी और उत्साह का समय लेकर आती है लेकिन, अगर किसी प्रेगनेंट महिला को एचआईवी हो जाये तो इससे उनके लिए गर्भावस्था के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राधाकृष्णा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विद्या भट्ट ने बताया है कि प्रेगनेंसी के दौरान एचआईवी संक्रमण किस तरह मां और बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

HIV संक्रमित महिलाओं में होने वाली परेशानियां

इम्यूनोलॉजी से जुड़ी समस्यायें

प्रेगनेंसी की वजह से महिलाओं की इम्यून पॉवर कमजोर हो जाती है जिसका असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। वहीं, अगर मां एचआईवी संक्रमित हो तो इससे इम्यूनिटी बहुत कम हो जाती है जिससे भ्रूण को भी नुकसान पहुंच सकता है। एचआईवी से पीड़ित महिलाओं में प्रसव के समय अधिक समस्याएं हो सकती हैं। प्रीटर्म बर्थ, लो बर्थ वेट और प्रीक्लैम्प्सिया जैसी स्थितियों का रिस्क सबसे अधिक होता है।

मेंटल हेल्थ पर पड़ता है असर

शारीरिक समस्याओं के अलावा एचआईवी संक्रमण की वजह से महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। प्रेगनेंसी में एचआईवी संक्रमण के कारण मां को मानसिक दबाव, डर और स्ट्रेस महसूस हो सकता है।

बच्चे को HIV इस तरह करता है प्रभावित

प्रेगनेंसी में मां से बच्चे में संक्रमण फैलने का खतरा और चिंता सबसे अधिक होता है। प्रेगनेंसी के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण आसानी से पहुंच सकता है। इसी तरह जन्म के समय और दूध पिलाने से बच्चे तक संक्रमण फैल सकता है। भ्रूण के विकास पर एचआईवी संक्रमण का बहुत गम्भीर प्रभाव पड़ता है। बच्चे की ग्रोथ में आनेवाली समस्याओं के कारण मेडिकल सपोर्ट और मॉनिटरिंग की जरूरत पड़ेगी।

भविष्य में होने वाली समस्यायें

एचआईवी इंफेक्शन से पीड़ित मां के बच्चों को आगे चलकर कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। एचआईवी का जल्द निदान और मेडिकल सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी।

सावधानियां और उपाय

प्रेगनेंसी से पहले और प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपने और बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां मिलनी चाहिए। रेग्यूलर हेल्थ चेकअप्स की मदद से एचआईवी संक्रमित मां के लिए सुरक्षित रह पाने में मदद हो सकती है।

अपने डॉक्टर के सम्पर्क में रहें और सभी टेस्ट समय से कराएं। इससे किसी भी तरह की कॉम्प्लिकेशन का अंदाजा समय से लग जाएगा और समय पर जरूरी मेडिकल उपाय किए जा सकेंगे।

प्रेगनेंट महिला के आसपास के लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए भावनात्मक सपोर्ट देना चाहिए। यह महिलाओं के मन से डर कम करेगा और उन्हें सुरक्षित महसूस करने में मदद करेगा।

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