फास्ट फूड से हार्ट अटैक और कैंसर के साथ किडनी की बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 85 करोड़ से ज्यादा क्रोनिक किडनी के मरीज हैं, जिनकी संख्या हर साल बढ़ रही है। भारत के प्रमुख नेफ्रोलॉजिस्टों का कहना है कि देश में लाइफ स्टाइल और फास्ट फूड का ज्यादा सेवन बड़ी बीमारियों की वजह बन रहा है। ज्यादातर लोगों में हाई ब्लड प्रेशर औैर डायबिटीज की समस्या बढ़ी है, जो किडनी खराब करने के मुख्य कारक हैं।
देश में कुछ साल से किडनी के मरीजों में ज्यादातर युवा सामने आ रहे हैं, जिनकी उम्र 50 साल से कम है। इनमें से आधे डायलिसिस कराने आ रहे हैं। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के मुताबिक दुनिया में क्रोनिक किडनी बीमारी के मरीजों की संख्या डायबिटीज के मरीजों (42.2 करोड़) से दोगुना और कैंसर मरीजों (4.2 करोड़) से 20 गुना ज्यादा है। इसके अलावा दुनिया में एचआईवी के 3.67 करोड़ से ज्यादा मरीजों को क्रोनिक किडनी की बीमारी है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि आने वाले समय में हर साल किडनी फेलियर के 1.33 करोड़ मरीज सामने आएंगे।
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संतुलित खानपान और कसरत जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि किडनी के साथ अन्य बड़ी बीमारियों से बचने के लिए लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल को लेकर जागरूक रहना होगा। संतुलित खान-पान, स्मोकिंग-शराब से परहेज और नियमित कसरत जरूरी है। किडनी के केस में प्रारंभिक स्टेज में बीमारी की पहचान होने पर ही इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है, लेकिन जब तक लोगों को इसका पता चलता है, किडनी बुरी तरह प्रभावित हो चुकी होती है।
साल में एक बार जांच करवाएं
दिल्ली-एनसीआर के एक अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. पी.एन. गुप्ता का कहना है कि डायबिटीज और हाई बीपी के मरीजों को साल में एक बार जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा जिनके परिवार में किडनी की बीमारी की हिस्ट्री है, उन्हें भी साल में एक बार स्क्रीनिंग करानी चाहिए। टेस्ट महंगे नहीं हैं। एक टेस्ट यूरीन और दूसरा सीरम क्रिएटिनिन है, जो छोटे-बड़े अस्पतालों और लैब सेंटर में उपलब्ध हैं।