Cancer Risk: वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक कैंसर है। हर साल इस रोग के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। पुरुष-महिला हों या फिर बच्चे, सभी उम्र और लिंग के लोगों में कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट, सर्वाइकल और ओवेरियन कैंसर जबकि पुरुषों में प्रोस्टेट, लंग्स और माउथ कैंसर के मामले और इसके कारण मौत का खतरा सबसे अधिक देखा जाता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कैंसर किसी को भी हो सकता है, यही कारण है कि सभी लोगों को इससे बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जरूरी है। वहीं जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को कैंसर की समस्या रही है उन्हें और भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
अध्ययनों की रिपोर्ट बताती है कि बच्चे भी कैंसर से बचे नहीं हैं। ल्यूकोमिया, ब्रेन और स्पाइनल कैंसर बच्चों में देखा जाने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों के मन में एक सवाल बार-बार खड़ा होता है कि पुरुष या महिला किसे कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
महिलाएं इस गंभीर रोग का शिकार अधिक हो रही | Cancer Risk
कैंसर के मामलों को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस गंभीर रोग का शिकार अधिक हो रही हैं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने एक रिपोर्ट में बताया कि 50 की आयु तक की 17 में से 1 महिला को कैंसर होने का खतरा रहता है। वहीं पुरुषों में ये दर 29 में से एक है। कैंसर रोग विशेषज्ञ कहते हैं जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है इस गंभीर रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
कैंसर से होने वाली मौतों की दर जरूर कम हुई | Cancer Risk
अध्ययन की रिपोर्ट बताती है कि मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और कारगर इलाज-दवाओं के चलते कैंसर से होने वाली मौतों की दर जरूर कम हुई है पर अब भी ये बड़ा जोखिम बना हुआ है। इस रिपोर्ट में जिक्र मिलता है कि कैंसर से जुड़ी मौतों में 1991 और 2022 के बीच 34% की गिरावट हुई है। इसे इतर अब भी लगभग 40% लोगों को उनके जीवनकाल में कभी न कभी घातक प्रकार के कैंसर का जोखिम हो सकता है। यू.एस. में हृदय रोगों के बाद कैंसर अब भी मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।
अब कैंसर के मामलों का समय पर निदान और इलाज हो रहा | Cancer Risk
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख लेखकों में से एक रेबेका सीगल बताती हैं, पहले की तुलना में अब कैंसर के मामलों का समय पर निदान और इलाज आसानी से हो जाता है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर मृत्युदर जरूर कम हुई है हालांकि अब भी ये बड़ी चिंता का कारण है। शोधकर्ताओं ने जब कैंसर के विशिष्ट प्रकारों को समझने की कोशिश की तो कुछ नए रुझान सामने आए। इसमें पाया गया है कि 65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में अब पुरुषों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर का निदान अधिक किया जा रहा है। इतना ही नहीं कई अन्य प्रकार के कैंसर (मुंह का कैंसर तथा महिलाओं में गर्भाशय और लिवर कैंसर) पहले की तुलना में अधिक लोगों की जान ले रहे हैं।
भारतीय आबादी को बड़ी सफलता मिली | Cancer Risk
कैंसर की रोकथाम और इसके मृत्युदर को कम करने में भारतीय आबादी को बड़ी सफलता मिली है। साल 2024 के आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैंसर को लेकर किए गए प्रयासों की भी खूब तारीफ की। द लैंसेट के अध्ययन रिपोर्ट की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में अब समय पर इस रोग का इलाज शुरू होने का संभावना पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है, जो इस बीमारी के कारण होने वाली मृत्युदर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री ने कहा, कैंसर के इलाज को आसान बनाने में आयुष्मान भारत योजना की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही है। इसकी मदद से कैंसर के 90 प्रतिशत मरीज समय पर इलाज प्राप्त कर रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना ने कैंसर के इलाज को लेकर होने वाले खर्च की टेंशन को काफी कम कर दिया है। इलाज को लेकर पहले की तुलना में अब लोग काफी जागरूक भी हुए हैं।