हर व्यक्ति को कभी न कभी शरीर में पानी की कमी की समस्या होती ही है। बच्चों में भी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। दस्त, उल्टी, बीमारी और गर्म मौसम की वजह से शरीर में तरल पदार्थों की कमी बढ़ सकती है और शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर बच्चों में डिहाइड्रेशन के क्या लक्षण होते हैं?
- कम पेशाब आना
- तीन घंटे या इससे ज्यादा समय तक पेशाब न आना
- रोने पर आंसू न निकलना
- होंठों का फटना
- मुंह में सूखापन
- थकान और काम कर पाना
- सुस्ती और नींद आना
- रोना या चिड़चिड़ापन
- तेज सांसें आना और दिल की धड़कन तेज होना
इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें, बिना देर किए चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए, ताकि बच्चे को समय रहते उपचार मिल सके। अब आपको यह बताते हैं कि आखिर डिहाइड्रेशन से बच्चों को कैसे बचाया जाए। खासकर इस मौसम में बच्चों की देखभाल कैसे की जाए। एक्सपर्ट एडवाइस के लिए आरोग्य इंडिया से जुड़े हैं लखनऊ के Child and New Born Specialist डॉ तरुण आनंद।
डिहाइड्रेशन की वजह से बच्चों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है
डिहाइड्रेशन अपने मल्टीपल फार्म्स दिखा सकता है। इसमें बच्चा बार-बार थक सकता है। डिहाइड्रेट होने की वजह से सिरदर्द, बुखार, झुंझलाहटपन, उल्टी, पेटदर्द, दस्त और कभी-कभी बच्चे को बेहोशी भी आ सकती है।
डिहाइड्रेशन से उभरने के लिए सिर्फ पानी का ही सेवन नहीं करना है, ये तरल पदार्थ भी जरूरी
डिहाइड्रेशन केवल पानी नहीं है, हमारे शरीर में पानी के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स का इंपार्टेंस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसीलिए देखा जाता है कि जब किसी को उल्टी या दस्त होते हैं तो सिर्फ पानी पीने से एनर्जी वापस नहीं आती। ऐसे में सलाह दी जाती है कि ओआरएस, नारियल पानी, छाछ, मट्ठा, लस्सी, घर का बना हुआ शिकंजी पानी पियें क्योंकि उसमें सोडियम और पोटैशियम होता है जो इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए बहुत जरूरी है।
तपती गर्मी में बच्चों का ख्याल कैसे रखें?
जैसे समर वेकेशन्स चल रही हैं तो आप ट्राई करें कि आप अगर बच्चे को आउटडोर ले जाना चाहते हैं तो अर्ली मॉर्निंग 5 बजे से 6 बजे के बीच में ले जायें, बच्चे को वॉक करायें या फ्रेश एयर दिलाएं। खासकर 10 बजे से 4 बजे के बीच बच्चों को इंडोर्स ही रखें। डिहाइड्रेशन मेंटेन करने के लिए सिर्फ पानी, इलेक्ट्रोलाइट, नींबू पानी के साथ-साथ आप फ्रूट्स भी दे सकते हैं जैसे वाटरमेलन, खरबूजा, शिकंजी। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि बच्चे को लाइट कपड़े पहनायें, बच्चे को कॉटन का कपड़ा पहनाए और कमरे का तापमान भी एसी, कूलर, पंखा चलाकर आप कोशिश करें कि एक ऑप्टिमम टेंपरेटर मेंटेन करें जो 26 डिग्री से 28 डिग्री रख सकते हैं।
एसी और कूलर का इस्तेमाल करने से पहले भी कुछ बातें जान लें
हमारा शरीर पर कहीं न कहीं स्ट्रेस जरूर पड़ता है जैसे खेल के बाद जब पसीना आ रहा होता है। तो तुरंत एसी कमरे में आ जाते हैं जिससे कभी-कभी हीट की ग्रंथियां काम नहीं करती और बच्चे को ठंडा गर्म हो सकता है, ये प्रैक्टिकली देखा गया है। इसलिए जब भी कोई बच्चा आये तो पहले आप उसको कूल डाउन करिए, पंखे के नीचे बैठाइये, पसीना पोछिए, चाहे तो उसको नॉर्मन टेंपरेचर पर एक हल्का वाटर बाथ दे सकते हैं फिर एसी रूम में ले जायें।
टंकी में भरा हुआ पानी भी बच्चों के लिए है काल
डॉ तरुण आनंद कहते हैं कि टंकी का पानी तो हम बिल्कुल भी एडवाइस नहीं करेंगे क्योंकि इस गर्मी की वजह से टंकी का पानी गर्म हो जा रहा है। जहां तक हो सके, उसको अवाइड ही करें।