कई स्टडी में पाया गया है कि जिन लोगों को यंग एज ग्रुप में डिप्रेशन की शिकायत होती है. उन्हें बड़े होने के बाद भी मानसिक बीमारियों का खतरा बना रहता है. मानसिक बीमारियों के लक्षण शुरुआत में मामूली होते हैं लेकिन बाद में वह गंभीर बन जाते हैं. शुरुआती जांच में डॉक्टर भी बीमारी का पता नहीं लगा पाते हैं. जिसके कारण मानसिक बीमारियां काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं.
एम्स की स्टडी में खुलासा
शहरों में दौड़ती-भागती जिंदगी की सच्चाई को बयां कर रही हैं एम्स की हालिया रिपोर्ट. एम्स की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दिल्ली के शहरी इलाकों में रहने वाले 491 नौजवान में से कम से कम 34 प्रतिशत किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं. इसमें 22.4% डिप्रेशन से और 6.7% टेंशन से पीड़ित होते हैं. दिल्ली एम्स के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन और मेंटल डिपार्टमेंट की ओर से किए गए एक स्टडी में डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है.
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नौजवान क्यों हो रहे दिमागी रूप से परेशान
दक्षिण-पूर्व दिल्ली में स्थित अंबेडकर नगर की एक शहरी कॉलोनी और दक्षिणपुरी एक्सटेंशन की एक स्टडी के मुताबिक यंग लोगों में काफी ज्यादा परेशानी देखी गई. यह ज्यादातर उन नौजवान बच्चों में देखा गया जो काफी ज्यादा धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करते थे. कम से कम 26 प्रतिभागियों में धूम्रपान करने वाली तंबाकू का इस्तेमाल किया जाता है. 25 प्रतिशत प्रतिभागियों में गुटखा, खैनी या पान मसाले जैसे तंबाकू का सेवन करते हैं.
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (2019) के मुताबिक, नौजवानों में विकलांगता और सोशल स्टेटस के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मनोरोग मैगजीन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक शहरी इलाकों में रहने वाले नौजवान काफी ज्यादा खुश दिखते हैं लेकिन उसमें 15-19 साल की उम्र के यंग बच्चे डिप्रेशन और टेंशन का शिकार होते हैं. यह यंग बच्चे कई सारी मानसिक बीमारियों से परेशान होते हैं.