खानपान में गड़बड़ी और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण शरीर में यूरिक एसिड तेजी से बढ़ जाता है। यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से जोड़ों में दर्द, चलने-फिरने में दिक्कत, सूजन समेत कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
दरअसल, यूरिक एसिड एक अपशिष्ट पदार्थ है जो बढ़ जाने पर शरीर में किडनी के फंक्शन को प्रभावित करता है। इसकी वजह से गठिया, अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर होने वाली समस्याओं को सही समय पर पहचानकर उचित कदम उठाने से आप इस गंभीर बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने के लिए कच्चे पपीते का सेवन करना फायदेमंद होता है।
यूरिक एसिड में कच्चा पपीता खाने के फायदे
यूरिक एसिड शरीर में खाद्य पदार्थों का सेवन करने के बाद बनता है। यह एक तरह का अपशिष्ट है, जिसकी मात्रा बढ़ने पर किडनी इसे ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती है। प्यूरीन नामक प्रोटीन का बहुत ज्यादा सेवन करने से यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या में डाइट और लाइफस्टाइल का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।
शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए कच्चा पपीता खाना फायदेमंद होता है। कच्चा पपीता विटामिन सी, विटामिन ई, फोलेट और घुलनशील डाइटरी फाइबर से भरपूर होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और मिनरल्स की भी पर्याप्त मात्रा होती है। नियमित रूप से कुछ दिनों तक कच्चा पपीता खाने से यूरिक एसिड का लेवल कंट्रोल करने और अर्थराइटिस और गठिया जैसी गंभीर समस्याओं से छुटकारा पाने में फायदा मिलता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण
शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।
- जोड़ों में गंभीर दर्द और सूजन
- जोड़ों को छूने पर दर्द होना
- किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याएं
- किडनी स्टोन की समस्या
- पीठ में गंभीर दर्द
- बार-बार पेशाब आना
- उठने-बैठने में परेशानी होना
- उंगलियों में सूजन आना
हाई यूरिक एसिड में कैसे खाएं कच्चा पपीता
रिक एसिड को कम करने के लिए रोजाना सुबह के समय कच्चे पपीते का जूस पीना फायदेमंद होता है। सुबह के समय एक गिलास कच्चे पपीते का जूस लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से इसका सेवन करें। ऐसा करने से तेजी से यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में फायदा मिलेगा। इसके अलावा कच्चे पपीते पर नमक और नींबू का रस लगाकर खाने से भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिलती है।